Edited By Shivam, Updated: 23 Nov, 2018 07:35 PM
ऑल हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन के राज्य महासचिव बलवान सिंह दोदवा व डिपो प्रधान चन्द्रभान सोलंकी, सचिव महेंद्र मोहाली व मुख्य संगठन सचिव मजीद चौहान ने संयुक्त बयान जारी करते हुए बताया कि हरियाणा रोडवेज के पंचकुला डिपो व सब डिपो कालका में अधिकारियों...
चण्डीगढ़ (धरणी): ऑल हरियाणा रोडवेज वर्कर्स यूनियन के राज्य महासचिव बलवान सिंह दोदवा व डिपो प्रधान चन्द्रभान सोलंकी, सचिव महेंद्र मोहाली व मुख्य संगठन सचिव मजीद चौहान ने संयुक्त बयान जारी करते हुए बताया कि हरियाणा रोडवेज के पंचकुला डिपो व सब डिपो कालका में अधिकारियों की मिलीभगत से डीजल के नाम पर भारी घोटाला चल रहा है। जिसके कारण परिवहन विभाग को हर महीने लाखों रुपए की चपत लग रही है। जिसका खुलासा 19 नवम्बर को डीजल की सप्लाई लेकर आए एक प्राईवेट टैंकर को अचानक चैक करने से हुआ।
दोदवा ने बताया कि 19 नवम्बर को रात करीब नौ बजे एक प्राईवेट टैंकर न. एचआर-37बी, 6606 अम्बाला प्लान्ट से डीजल की सप्लाई लेकर कालका सब डिपो में आया था। उस समय ड्यूटी पर उपस्थित कर्मचारियों ने टैंकर को खाली करवाया था। टैंकर खाली होकर जैसे ही डिपो से बाहर जाने लगा तो कुछ कर्मचारियों ने शक के आधार पर टैंकर को रुकवाकर चैक किया तो पाया कि उसमें हजारों लीटर डीजल बचा हुआ था, जिसको टैंकर चालक लेकर चुपचाप निकल रहा था। मौजूदा कर्मचारियों ने टैंकर को नहीं जाने दिया तथा डिपो में ही खड़ा करवाकर महाप्रबंधक व कार्य प्रबन्धक को इसकी सूचना दी।
उन्होंने बताया कि पंचकूला डिपो के महाप्रबंधक ने अगले दिन सुबह आकर इस टैंकर को दौबारा खाली करवाया तो इसमें से 1331 लीटर डीजल और निकला जिसकी बाजारी कीमत लगभग 90,000 रुपए बैठती है। लेकिन महाप्रबंधक ने बगैर कोई पुलिस व कानूनी कार्यवाही करवाए टैंकर को ऐसे ही छोड़ दिया। इससे साफ जाहिर होता है कि यह सारा मामला कर्मचारी व अधिकारियों की मिलीभगत के कारण एक लम्बे समय से चल रहा था। अगर यह टैंकर नही पकड़ा जाता तो यह काम लगातार जारी रहता।
दोदवा का कहना है कि इसकी जांच तुरन्त किसी निष्पक्ष अधिकारी या जांच एजेंसी से करवाई जाये तो करोड़ों रुपए का एक बड़ा घोटाला निकलकर सामने आएगा। यूनियन ने मांग की है कि डीजल व स्पेयर पाट्र्स की जांच कालका, पंचकूला व चण्डीगढ़ डिपो में ही नहीं बल्कि प्रदेश के सभी डिपो व सब डिपुओं में होनी चाहिए ताकि रोडवेज में होने वाले वास्तविक घाटे का पर्दाफाश हो सके।
दोदवा ने बताया कि परिवहन विभाग में मार्ग पर चलने वाले चालक को पांच या इससे ज्यादा के.एम.पी.एल लाने के लिए मजबूर किया जाता है तथा इससे कम लाने पर उनके वेतन से रिकवरी की जाती है। लेकिन सरेआम लाखों रुपए के घौटाले करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जाती। दोदवा ने बताया कि परिवहन के उच्च अधिकारियों ने चालक व परिचालकों को एक वर्ष में 1.30 करोड़ रुपए ओवरटाइम के रूप में अदायगी करने का हवाला देकर बगैर सोचे समझे तथा स्टाफ की उचित व्यवस्था न करके ओवरटाइम बन्द करने तुगलकी फरमान जारी कर दिया। जिसके कारण यातायात व्यवस्था बिल्कुल अस्त व्यस्त हो गई। पुरे प्रदेश में अफरातफरी का माहौल है तथा प्रदेश की जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सरकार ने जनता की परेशानी की कोई चिन्ता नहीं है।