Edited By kamal, Updated: 24 May, 2019 09:46 AM
मई माह की 12 तारीख को हुए लोकसभा चुनाव का परिणाम देशभर में वीरवार को घोषित किया गया। भिवानी-महेंद्रगढ़...
भिवानी(पंकेस): मई माह की 12 तारीख को हुए लोकसभा चुनाव का परिणाम देशभर में वीरवार को घोषित किया गया। भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर भी मुकाबला शुरूआती दौर में रोचक दिखाई दिया लेकिन जैसे-जैसे राऊंड निकलते गए वैसे-वैसे मुकाबले की दौड़ में भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर कई वोटों से आगे निकल गए और फिर पीछे मुडऩे का नाम तक नहीं लिया। इस मुकाबले में मुख्य रूप से भाजपा से धर्मबीर सिंह, कांग्रेस से श्रुति चौधरी, जजपा से स्वाति यादव, इनैलो से बलवान फौजी तो लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी से रमेश राव पायलट शामिल थे लेकिन बलवान फौजी और पायलट दौड़ में सबसे पीछे रह गए।
जब परिणाम आया तो धर्मबीर सिंह सभी प्रत्याशियों को पछाड़ते हुए विजयी हुए तो श्रुति दूसरे व स्वाति यादव तीसरे स्थान पर रही। पांचों प्रत्याशियों ने भिवानी, लोहारू, तोशाम, दादरी और बाढड़ा में कितने वोट बटोरे इसके बारे में आपको हम टेबल के माध्यम से विस्तार से बता रहे हैं।
प्रत्याशी भिवानी लोहारू तोशाम दादरी बाढड़ा
धर्मबीर सिंह 99,013 76,767 83,056 77,041 64,074
बलवान फौजी 433 944 1039 103 1562
श्रुति चौधरी 30,352 39,803 48,929 35,100 38,955
रमेश राव 4230 2252 5143 2541 2024
स्वाति यादव 4140 14,044 9008 9567 18,021
धर्मबीर सिंह का कथन
जब मतगणना केंद्र से बाहर निकल रहे भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि वह तो पहले ही कह चुके थे कि प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर भाजपा प्रत्याशी जीत हासिल करेंगे। इसलिए उन्हें अपनी जीत का पूरा विश्वास था लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि यहां की जनता उन्हें इतने माॢजन से जीत हासिल करवाएगी। उन्होंने अपनी जीत का श्रेय पूरी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया।
दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी श्रुति की मां और सी.एल.पी. लीडर किरण चौधरी से बात की तो उन्होंने बताया कि जनता ने जो जनादेश दिया है वे उसे दिल से स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी की कर्मभूमि भिवानी है और वह यहां की जनता की आवाज को विपक्ष में रहते हुए भी उठाती रहेंगी। किरण चौधरी ने कहा कि जनता ने जो जनादेश प्रदेश ही नहीं देशभर में दिया है।
वह उन्हें स्वीकार है लेकिन आने वाले 5 साल में लोगों को पता चल जाएगा कि उनके लिए कौन अच्छा काम कर रहा था और किसने यहां के साथ भेदभाव किया है। इसलिए वह अपनी बेटी की हार को दिल से स्वीकार करती हैं।