Edited By Deepak Paul, Updated: 23 Feb, 2019 12:53 PM
अगर जिले की एम्बुलैंस को रोडवेज चालकों से चलवाया गया तो उससे जिले में परिवहन व्यवस्था एक बार फिर से गड़बड़ा सकती है। इसका कारण यह है कि रोडवेज के पास इतनी ज्यादा संख्या में चालक नहीं कि उनके सहारे जिले में एम्बुलैंस व्यवस्था को बहाल किया जा सके।...
भिवानी: अगर जिले की एम्बुलैंस को रोडवेज चालकों से चलवाया गया तो उससे जिले में परिवहन व्यवस्था एक बार फिर से गड़बड़ा सकती है। इसका कारण यह है कि रोडवेज के पास इतनी ज्यादा संख्या में चालक नहीं कि उनके सहारे जिले में एम्बुलैंस व्यवस्था को बहाल किया जा सके। इसलिए इस मामले में सरकार का फैसला जिले की जनता के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
यहां बता दें कि अपनी मांगों को लेकर जिले ही नहीं प्रदेश भर के एन.एच.एम. कर्मचारी पिछले 18 दिन से हड़ताल पर चल रहे हैं। इनमें जिले के सभी एम्बुलैंस चालक भी शामिल हैं। इसके चलते जिले में सरकारी एम्बुलैंस व्यवस्था बुरी तरह चरमराई हुई है। इसका सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं और हादसों में घायल होने वाले लोगों पर पड़ रहा है। हादसों में घायल होने वाले लोगों के लिए मुफ्त में सरकारी एम्बुलैंस सेवा दी जाती है। मगर इनके चालकों के पिछले 18 दिन से हड़ताल पर होने के चलते इस तरह की महिलाओं और लोगों को निजी एम्बुलैंस मंगवाकर अपनी जेब से किराया देना पड़ रहा है।
दूसरी ओर, इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने इन कर्मचारियों की मांगें मानने की बजाय प्रदेश में सरकारी एम्बुलैंसों को चलाने के लिए रोडवेज के चालकों का सहारा लेने की बात कही है। अगर ऐसा होता है तो जिले की इन 12 एम्बुलैंस को चलाने के लिए रोडवेज के 36 चालकों को इन एम्बुलैंस पर नियुक्त करना होगा। इसका कारण यह है कि एक एम्बुलैंस पर 8 घंटे की ड्यूटी के हिसाब से 3 चालकों की जरूरत होगी। इसलिए जिले में 12 एम्बुलैंस होने के चलते रोडवेज को भी अपने 36 चालक स्वास्थ्य विभाग को देने होंगे।