महिला सुरक्षा का मुद्दा राजनीति में हुआ गौण

Edited By kamal, Updated: 03 Apr, 2019 08:25 AM

women security

लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा होते ही प्रदेश में राजनीतिक पाॢटयों के विभिन्न मुद्दों पर बयानबाजी सामने आने लगी है परन्तु...

अम्बाला(मीनू): लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा होते ही प्रदेश में राजनीतिक पाॢटयों के विभिन्न मुद्दों पर बयानबाजी सामने आने लगी है परन्तु महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर अभी तक किसी भी पार्टी द्वारा कोई विशेष मुद्दा नहीं उठाया गया है। हालांकि अभी सभी राजनीतिक पाॢटयों द्वारा अपने लोकसभा प्रत्याशी घोषित करने बाकी हैं फिर भी मुद्दों की बात पर उक्त मुद्दा उस तरह से राजनीतिक मंच का हिस्सा नहीं बन पाया है जितना बनना चाहिए था। 

महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में हरियाणा देश में छठे स्थान पर
हरियाणा रेप एवं गैंगरेप के मामले में कलंक बन गया है। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में पूरे देश में हरियाणा छठे स्थान पर है। यह शर्मनाक आंकड़ा है। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में महिलाओं के विरुद्ध अत्याचार के करीब 9839 मामले सामने आए हैं। इन मामलों में अधिकांश घरेलू कलह, दहेज प्रताडऩा, रेप-गैंगरेप, किडनैपिंग व यौन शोषण के मामले शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2016 में 6 साल से 18 साल की 518 नाबालिग बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं हुईं। 

वहशी दरिंदों ने मासूम बच्चियों को भी नहीं बख्शा। 6 साल से कम उम्र की 32 जबकि 6 से 12 साल की 82 नाबालिग बच्चियां रेप का शिकार हुईं। इसी तरह से 2 से 16 साल की 194, 16 से 18 साल की 210, 18 से 20 साल की 474, 30 से 45 साल की 165, 45 से 60 साल की 29 एवं 60 से अधिक आयु की 3 महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ। यह सिलसिला थम नहीं रहा है बल्कि साल-दर-साल आंकड़ा बढ़ रहा है। नवम्बर 2018 से फरवरी 2019 तक भी 4 माह में रेप के 481 मामले सामने आ चुके हैं। स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो हरियाणा की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल नवम्बर में रेप के 145, दिसम्बर में 123, इस साल जनवरी में 102 जबकि फरवरी में रेप के 111 मामले सामने आए।

दहेज की बलि चढ़ रही महिलाएं
चिंतनीय पहलू यह है कि जहां महिलाओं के साथ रेप व गैंगरेप की घटनाएं हो रही हैं, वहीं महिलाएं अपने घर में भी सुरक्षित नहीं हैं। हर साल 250 से अधिक महिलाएं दहेज हत्या का शिकार हो रही हैं तो 120 से अधिक महिलाओं की मौतें अबेटमेंट ऑफ सुसाइड (आत्महत्या के लिए उकसाना) से हो रही हैं। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में 260 महिलाएं दहेज हत्या का शिकार हुई। पिछले डेढ़ दशक में यह आंकड़ा चार गुणा तक बढ़ा है। साल 2004 में 58 महिलाएं दहेज हत्या का शिकार हुई थीं।


"हमारी सरकार का ट्रैक रिकार्ड रहा है कि हमने किसी भी अपराध में संलिप्त अपराधी को राजनीतिक संरक्षण कभी नहीं दिया। पुलिस तंत्र को निष्पक्ष रूप से काम करने की आजादी है। हमारी सरकार महिलाओं एवं बच्चियों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।" -सुभाष बराला, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष

"चाहे केंद्र हो या प्रदेश की भाजपा सरकार दोनों ही महिलाओं की सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं हैं। प्रदेश में रोज बच्चियों और महिलाओं के साथ अत्याचार की घटनाएं घटित हो रही हैं। कानून व्यवस्था पूरी तरह लचर हो चुकी है। प्रदेश का नाम डुबोने में वर्तमान सरकार का पूरा योगदान है। "-अशोक तंवर, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष हरियाणा

"प्रदेश में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। प्रशासन की निरंकुश कार्यप्रणाली से अपराधियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। महिला अपराधों में कमी लाने के लिए विधेयक की अपेक्षा दृढ़ इच्छाशक्ति भी होनी चाहिए और कड़े कदम भी उठाने चाहिएं जोकि निवर्तमान सरकार नहीं कर रही है। "-अशोक अरोड़ा, प्रवक्ता इनैलो

"दूध-दही के खाने से जाने जाते हरियाणा की छवि आज धूमिल होती जा रही है। लड़कियों के साथ छेड़छाड़, दुष्कर्म के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। भाजपा सरकार इस पर लगाम लगाने में पूरी तरह असफल रही है। सरकार को अपनी प्रदेश की बहू-बेटियों के सम्मान की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाने चाहिएं।"-नवीन जय हिन्द, ‘आप’ प्रदेशाध्यक्ष, हरियाणा

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