लोकसभा के साथ विधानसभा चुनावों की संभावना बढ़ी

Edited By Deepak Paul, Updated: 13 Dec, 2018 10:57 AM

the possibility of assembly elections increased with the lok sabha

अभी हाल में ङ्क्षहदी बैल्ट का हार्टलैंड माने जाने वाले 3 राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार का हरियाणा की राजनीति पर भी असर पडऩे की उम्मीद जताई जा रही है। माना जा रहा है कि हवा का रुख भांप कर हरियाणा भाजपा...

अम्बाला (रीटा/सुमन): अभी हाल में ङ्क्षहदी बैल्ट का हार्टलैंड माने जाने वाले 3 राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार का हरियाणा की राजनीति पर भी असर पडऩे की उम्मीद जताई जा रही है। माना जा रहा है कि हवा का रुख भांप कर हरियाणा भाजपा कुछ महीनों में होने वाले लोकसभा चुनावों के साथ ही राज्य विधानसभा चुनाव भी करवाने पर विचार कर सकती है।

हरियाणा के विधानसभा चुनाव इसी साल अक्तूबर में होने हैं, जबकि लोकसभा के चुनाव करीब 5 महीने पहले मई में तय है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल पहले भी संकेत कर चुके हैं कि यदि चुनाव आयोग दोनों चुनाव साथ करवाना चाहे तो वह इसके लिए तैयार हैं। यदि मई में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव होते है, तो स्वभाविक है कि राज्य में आदर्श आचार संहिता फरवरी की आखिर में या फिर मार्च के शुरू में लग जाएगी। उसके बाद राज्य सरकार के लिए बड़े फैसले लेना व बड़ी घोषणाएं करना मुश्किल हो जाएगा।

यदि विधानसभा चुनाव अक्तूबर के बाद होते हैं हैं तो राज्य सरकार को लंबित काम निपटाने के लिए लोकसभा चुनाव के बाद भी 3-4 महीने और मिल जाएंगे। हरियाणा भाजपा क्षेत्रों को उम्मीद है कि अगले साल अक्तूबर में होने वाले विधानसभा चुनावों तक अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हर हालत में शुरू हो जाएगा जिसका फायदा चुनावों में उसे मिलेगा। राज्य सरकार ने सभी जिलों में ढेर सारी विकास कार्यों पर खुले दिल से पैसे खर्च किए हैं, अक्तूबर तक काफी प्रोजैक्ट पूरा होने के करीब होंगे।

राजनीतिक पंडितों का मानना है कि दोनों चुनाव साथ करवाने का भी पार्टी को फायदा मिल सकता है। यदि किसी वजह से लोस चुनावों में भाजपा दिल्ली की सत्ता पर काबिज नहीं हो पाती तो यहां कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा को बेहतर प्रदर्शन करना मुश्किल हो जाएगा। दोनों चुनाव साथ-साथ होने के स्थिति में पार्टी के संसदीय क्षेत्रों के उम्मीदवारों के लिए मोदी व शाह की रैलियों का फायदा विधानसभा के प्रत्याशियों को भी मिल जाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि जीत हार की जिम्मेदारी भी दोनों केंद्र सरकार व राज्य सरकार की सांझी हो जाएगी। अन्यथा जय व पराजय का लेखा-जोखा राज्य के मुखिया के खाते में ही जाता है।

पिछले वि.स. चुनावों में मोदी लहर का मिला फायदा पिछले विधानसभा चुनावों में मोदी लहर पूरे यौवन पर थी और कांग्रेस के 10 साल के शासन के चलते उसके खिलाफ एंटी इनकम्बैंसी फैक्टर का भी असर था लेकिन इस बार मोदी लहर में वे पहली बार वाली धार नहीं होगी। सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी फैक्टर का भी कुछ असर छोड़ेगा। इस बार पिछली बार की तरह भाजपा को डेरा सच्चा सौदा के वोटें भी थोक के भाव में मिल जाएंगी, इसकी भी गारंटी नहीं है। कहा जा है कि इन सब तथ्यों पर मंथन के बाद ही हरियाणा भाजपा कोई फैसला लेगी।

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