शिअद की बढ़ती सरगर्मियों से चढ़ा प्रदेश का सियासी पारा

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 19 Aug, 2018 10:10 AM

political paraphernalia of the state rising from shaid s growing rhetoric

अगले विधानसभा चुनाव से करीब साल भर पहले ही पंजाब के महत्वपूर्ण सियासी दल शिरोमणि अकाली दल ने हरियाणा में अपनी सियासी सरगर्मियां तेज कर तमाम दलों को नए सिरे से रणनीति तैयार करने...

अम्बाला(विशेष): अगले विधानसभा चुनाव से करीब साल भर पहले ही पंजाब के महत्वपूर्ण सियासी दल शिरोमणि अकाली दल ने हरियाणा में अपनी सियासी सरगर्मियां तेज कर तमाम दलों को नए सिरे से रणनीति तैयार करने पर विवश कर दिया है। खासकर शिरोमणि अकाली दल का हरियाणा की सियासत में सक्रिय होना इंडियन नैशनल लोकदल के लिए खतरे की घंटी है। दोनों दलों ने पिछले दो विधानसभा चुनाव इकट्ठे लड़े थे। अब शिअद द्वारा अलग सियासी राह पकडऩे से इनैलो के वोट बैंक पर सीधा असर पडऩे की संभावना है। वैसे भी पिछले चुनाव में पहली बार 47 सीटें लेकर भाजपा के सत्तासीन होने के बाद हरियाणा में अब सियासी मुकाबला और अधिक रोमांचक स्थिति में पहुंच गया है। अतीत के चुनाव देखें तो एक बार को छोड़कर हरियाणा में दो ही दलों के बीच मुकाबला होता आया है।

दरअसल, पंजाब के बाद हरियाणा में सबसे अधिक सिख आबादी है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पर पिछले लम्बे समय से शिरोमणि अकाली दल का ही वर्चस्व है। खास बात यह है कि पंजाब के साथ हरियाणा में होने वाले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में शिअद की सियासी सरगर्मियां हमेशा से ही तेज रही हैं। ऐसे में शिअद का हरियाणा में एक बड़ा संगठन है। कार्यकर्ताओं की एक बड़ी फौज है। सिख मतदाताओं के साथ मजहबी सिख मतदाताओं और इसके साथ ही अपने बने-बनाए हुए संगठन को देखते हुए अकाली दल की सियासी महत्वाकांक्षा के चलते ही हरियाणा के सियासी समर में उतरने का फैसला किया है। 

गौरतलब है कि हरियाणा में सिख आबादी करीब 6 फीसदी है। जनगणना 2011 के अनुसार हरियाणा में 12 लाख 43 हजार 752 सिख आबादी थी। इसके अलावा मजहबी सिख मतदाताओं की संख्या भी 6 फीसदी के करीब है। ऐसे में यह एक बड़ा वोट बैंक भी है। सिरसा में सर्वाधिक 26.17 फीसदी सिख आबादी है जबकि कुरुक्षेत्र में 14.55 फीसदी सिख जनसंख्या है। इसी तरह से अम्बाला में 12.25 फीसदी, फतेहाबाद में 16.03, कैथल में 8.15 फीसदी सिख आबादी है। 

सिख बाहुल्य क्षेत्रों पर ही शिरोमणि अकाली का फोकस है। कुरुक्षेत्र संसदीय सीट के अलावा अकाली दल का इरादा राज्य में करीब दो दर्जन सीटों पर उम्मीदवार उतारने की रणनीति है। पिछले चुनाव देखें तो बेशक शिअद ने कालांवाली एवं अम्बाला सिटी से इनैलो से गठबंधन पर चुनाव लड़ा, पर स्वयं प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर बादल सहित शिअद की पूरी टीम ने पिछले डेढ़ दशक में हुए 3 विधानसभा और 3 लोकसभा चुनाव में पूरे हरियाणा में इनैलो के लिए चुनावी जनसभाएं कीं। गांव-गांव में अपने कार्यकर्ताओं की ड्यूटियां लगाईं। ऐसे में सियासी पंडितों का कहना है कि शिअद के चुनावी मैदान में उतरने का सबसे अधिक नुक्सान इनैलो को है। सियासी पर्यवेक्षक यह भी मानते हैं कि सिख बाहुल्य हलकों में शिअद का एक बना-बनाया हजारों में वोट बैंक है। ऐसे में अकाली बेशक बड़ी कामयाबी हासिल न करे लेकिन अनेक सीटों पर इनैलो के गणित को गड़बड़ा सकता है।

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