Edited By Naveen Dalal, Updated: 19 Jul, 2019 11:01 AM
तोपखाना परेड में सन 1843 से बसे लगभग 4 हजार परिवारों के 14 हजार लोग जमीन के मालिकाना हक को लेकर पिछले 5 महीने 10 दिन से धरना दे रहे हैं लेकिन धरने पर बैठे स्थानीय निवासियों की पीड़ा व परेशानी को दूर करने के लिए आज तक न तो प्रशासन का कोई नुमाइंदा...
अम्बाला छावनी (हरिंद्र): तोपखाना परेड में सन 1843 से बसे लगभग 4 हजार परिवारों के 14 हजार लोग जमीन के मालिकाना हक को लेकर पिछले 5 महीने 10 दिन से धरना दे रहे हैं लेकिन धरने पर बैठे स्थानीय निवासियों की पीड़ा व परेशानी को दूर करने के लिए आज तक न तो प्रशासन का कोई नुमाइंदा पहुंचा और न ही सरकार का। प्रशासन व सरकार की बेरुखी से अब लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है।
पत्रकार वार्ता के दौरान मालिकाना हक जनसभा व संयुक्त समाज सेवा संघ अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार ने बताया कि सरकार व प्रशासन को अब नींद से जगाने का समय आ गया है इसलिए सभी ने एकमत से फैसला किया है कि 22 जुलाई को उपायुक्त से मिलकर मसले के समाधान की मांग की जाएगी, अगर सुनवाई नहीं हुई तो कार्यालय के बाहर ही अर्धनग्न अवस्था में प्रदर्शन किया जाएगा।
मंत्रियों की जानकारी में है सारा मामला
शैलेंद्र कुमार ने बताया कि तोपखाना परेड वासियों ने 8 फ रवरी 2019 से अपने जमीन व मकानों के मालिकाना हक के लिए धरना लगाया हुआ है। धरने की जानकारी प्रशासन व सरकारी मंत्रियों को भी भली-भांति है लेकिन आज तक इन लोगों की समस्याओं को सुनने के लिए धरना स्थल पर न ही कोई प्रशासन का बड़ा अधिकारी आया और न ही कोई मौजूदा सरकार से मंत्री। तोपखाना परेड वासियों ने अपनी समस्याओं को लेकर 11 फरवरी को उपायुक्त के नाम एक ज्ञापन दिया जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इसके बाद 18 मार्च को दोबारा एक ज्ञापन उपायुक्त को सौंपा और उपायुक्त के कहने के अनुसार तोपखाना परेड वासियों ने तिलक राज के नाम से एक आर.टी.आई. 28 मार्च को लगवाई, लेकिन बड़े दुख के साथ यह कहना पड़ता है कि उपायुक्त कार्यालय से उन्हें अभी तक इन सभी ज्ञापन व आर.टी.आई. का कोई भी उत्तर नहीं प्राप्त हुआ। इस संदर्भ में 10 जुलाई को उपायुक्त अम्बाला को एक और ज्ञापन सौंपा गया, लेकिन 8 दिन बीत जाने के बाद भी इसका कोई जवाब नहीं आया। स्थानीय निवासियों ने बताया कि यदि उपायुक्त की ओर से उनकी समस्याओं पर प्रकाश नहीं डाला गया तो वह सभी डी.सी. कार्यालय के बाहर अर्धनग्न अवस्था में उपायुक्त का विरोध करेंगे और यदि आवश्यकता पड़ी तो उपायुक्त शरणदीप कौर बराड़ को पार्टी बनाते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।