गड़बड़झाला: निगम ने सरकारी रास्ते पर बनाई 18.50 लाख की धर्मशाला

Edited By Deepak Paul, Updated: 11 Feb, 2019 01:09 PM

false corporation has constructed 18 50 lakh dharashala

अतिक्रमण पर कार्रवाई करने वाले नगर निगम सदर जोन अम्बाला के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। नगर निगम के अधिकारियों ने खुद सरकारी ग्रांट से रास्ते पर धर्मशाला का निर्माण कर दिया है।

अम्बाला छावनी(जतिन): अतिक्रमण पर कार्रवाई करने वाले नगर निगम सदर जोन अम्बाला के अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। नगर निगम के अधिकारियों ने खुद सरकारी ग्रांट से रास्ते पर धर्मशाला का निर्माण कर दिया है। इतना ही नहीं, धर्मशाला के निर्माण कार्य को लेकर नन्हेड़ा के रहने वाले हरनेक सिंह ने नगर निगम के उच्च अधिकारियों से लेकर एम.ई. ब्रांच के अधिकारियों तक कई बार निशानदेही करवाने की गुहार लगाई लेकिन हरनेक सिंह की इस गुहार को न तो नगर निगम की एम.ई. ब्रांच के अधिकारियों ने सुना और न ही उच्च अधिकारियों ने।

इसी लापरवाही के चलते अब जब 18.50 लाख से धर्मशाला बनकर तैयार हो गई है तब हाईकोर्ट के आदेशों पर खसरा नंबर 65 की निशानदेही में यह सामने आया है कि जिस जमीन पर नगर निगम के अधिकारियों ने धर्मशाला का निर्माण करवाया है वह धर्मशाला रास्ते पर बनी है। हैरानी की बात यह है कि इस निशानदेही की रिपोर्ट आने के बाद और यह पता चलने कि धर्मशाला रास्ते पर निगम के अधिकारियों ने बना दी है तो भी निगम के अधिकारी इसे अपनी गलती मानने के बावजूद ये कहते नजर आ रहे हैं कि जहां पर धर्मशाला बनी हुई थी, हमने तो वही नई धर्मशाला बना दी है। ऐसे में अगर 18.50 लाख की सरकारी ग्रांट से तैयार हुई धर्मशाला पर हाई कोर्ट के आदेशों पर पंजा चलता है तो निगम के अधिकारियों की इस लापरवाही पर प्रशासन क्या कार्रवाई करता है।

नगर निगम सदर जोन के अधिकारियों की इसे अनदेखी कहो या फिर लापरवाही कि निगम की एम.ई. ब्रांच ने 18.50 लाख की धर्मशाला का निर्माण करने से ठीक पहले उस जमीन का पटवारखाने से रिकार्ड तक निकलवाना ठीक नहीं समझा और गांव के रहने वाले हरनेक सिंह ने नगर निगम के अधिकारियों को एक नहीं बल्कि कई बार कहा कि वह धर्मशाला का निर्माण करने से पहले इस जमीन की निशानदेही करवाएं। अगर निगम अधिकारी हरनेक सिंह की बात को मान लेते और समय रहते सरकारी ग्रांट से बनने वाली धर्मशाला सही जगह पर बन पाती।

ग्रांट की भरपाई होगी कैसे? 
अगर बात रहे सिस्टम की, तो ऐसा प्रावधान है कि किसी भी जमीन पर सरकारी ग्रांट से निर्माण कार्य होने से ठीक पहले उस जमीन का नगर निगम को सर्वे करवाना चाहिए था कि जिस जमीन पर 18.50 लाख की लागत से निर्माण कार्य होने जा रही है कहीं उस जमीन पर किसी तरह का कब्जा तो नहीं है। लेकिन नगर निगम ने जमीन का सर्वे करवाए बिना ही सरकारी ग्रांट से अब धर्मशाला का निर्माण कर दिया है। जोकि रास्ते पर बनी हुई है। शिकायतकत्र्ता की मानें तो अगर हाईकोर्ट के आदेशों पर इस धर्मशाला को हटाकर रास्ता साफ करने के आदेश पारित होते हैं तो 5 से 10 प्रतिशत की धर्मशाला उस कार्रवाई में बच पाएगी। ऐसे में नगर निगम की एम.ई. ब्रांच पर सवाल खड़ा होता है कि बिना सर्वे और शिकायतकत्र्ता के बार-बार गुहार लगाने के बावजूद बिना निशानदेही करवाए धर्मशाला का निर्माण कार्य करवाने के पीछे कसूरवार कौन है? कोर्ट के आदेशों पर अगर सरकारी ग्रांट से तैयार हुई धर्मशाला को रास्ते से हटाया जाता है तो उस सरकारी ग्रांट की निगम की एम.ई. ब्रांच के अधिकारी भरपाई कैसे कर पाएंगे?

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