Murthal University में सोलर लाइट घोटाला: मुरम्मत करवाने की बजाय खरीद ली नई लाइटें

Edited By Updated: 25 Oct, 2016 09:53 AM

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दीनबंधु छोटूराम यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टैक्नोलॉजी मुरथल के वी.सी. को भले ही हटा दिया गया हो लेकिन...

सोनीपत (संजीव दीक्षित): दीनबंधु छोटूराम यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टैक्नोलॉजी मुरथल के वी.सी. को भले ही हटा दिया गया हो लेकिन घोटालों की वजह से यूनिवर्सिटी का चर्चा में बना रहना जारी है। इस बार सोलर लाइटों के मामले में घपले का आरोप लगाया है। जिन सोलर लाइटों की मुरम्मत की जानी थी, उनके स्थान पर नई खरीद ली गई। वहीं, पुरानी लाइटें कहां गईं, इसका भी कुछ अता-पता नहीं। जब मामला प्रकाश में आया तो संबंधित फाइल से मामले के जरूरी दस्तावेज ही गायब हो गए। 

जानकारी के अनुसार जनवरी 2016 में मुरथल यूनिवर्सिटी में सोलर स्ट्रीट लाइट ठीक करने के लिए आदेश किए गए थे। इसमें तय हुआ था कि पुरानी स्ट्रीट लाइटों को रिपेयर करवाया जाएगा। इसके साथ जो बैटरी पूरी तरह खत्म हो गई हैं, वह रिप्लेस होंगी। इसके लिए कुलपति ने एक कमेटी का गठन किया गया था। इसमें डा. अनिल बेरवाल, निशा कुमारी, सुदेश चौधरी व विजय कुमार ए.ओ. को शामिल किया गया था।

आरोप है कि इस कमेटी के सदस्यों ने तत्कालीन कुलपति प्रो.राजपाल दहिया के प्रभाव में आकर पुरानी लाइटें रिपेयर करने की बजाय नए लाइटें खरीद लीं। जिन पर करीब 18.93 लाख रुपए की लागत आई। इस खरीद को लेकर यूनिवर्सिटी में विवाद रहा है। पहले तो लाइटें खरीदते समय ही यूनिवर्सिटी के एक्स.ई.एन. ने खरीद करने से मनाही कर दी और खुद को कमेटी में शामिल न करने की बात कही। यही वजह रही कि तकनीकी स्तर का कोई व्यक्ति इस कमेटी में शामिल ही नहीं था।

दूसरा प्री-ऑडिट टीम ने इस पर आपत्ति जताई और लेखा विभाग ने भी इस खरीद को नियम के अनुसार नहीं पाया। यूनिवर्सिटी में किसी भी सामान की खरीद के लिए केवल 1 लाख रुपए तक का अधिकार कुलपति को है। इसके बाद अधिक रुपए की खरीद के लिए फाइनैंस से अनुमति लेना अनिवार्य है लेकिन इस 19 लाख रुपए की खरीद में कमेटी या प्रशासन ने किसी से कोई अनुमति नहीं ली और मनमाने ढंग से खरीद कर ली।

दस्तावेज गायब होने पर उजागर हुआ मामला 
यूनिवर्सिटी में यह मामला जून-जुलाई में उछला था। इस पर शक तब हुआ, जब इस खरीद से संबंधित फाइल के गुम होने की बात सामने आई। बड़ी जांच पड़ताल के बाद अब तक केवल ये पता चल सका है कि इस फाइल में ऐसा कोई दस्तावेज ही नहीं है, जिसमें लाइट खरीद या ठीक करने के आदेश दिए गए हों। यह भीपता नहीं है कि आखिर यह खरीद किसके कहने पर की गई। तह तक जांच करने पर पता चला है कि इस कमेटी में पूर्व वी.सी. की एक नजदीकी रिश्तेदार भी है। शायद इसी को बचाने के चक्कर में फाइल के दस्तावेज गायब कर दिए गए हैं। 

जांच के लिए करवाएंगे कमेटी गठित: वी.सी. 
इस बारे में कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार का कहना है कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं था। इस तरह की अगर फाइल से छेड़छाड़ की गई है, तो यह बेहद संगीन मामला है। इसकी जांच के लिए वे कमेटी गठित करेंगे और सच्चाई का पता लगाने का प्रयास किया जाएगा।

 

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