झूला टूटा, फव्वारे कंडम, गंदगी का आलम बस...नाम के पार्क

Edited By Punjab Kesari, Updated: 01 Dec, 2017 11:22 AM

swing broken  fountains worn  dirt is the bus     name park

मोहंता गार्डन इलाके में रहने वाली पौने 6 बरस की छवि हर रोज अपने पापा को पार्क में झूले दिलवाने की जिद्द करती है परंतु उसकी यह जिद्द पूरी नहीं हो पाती। वजह है कि इस इलाके के पास पटेल बस्ती में स्थित जीवन सिंह जैन पार्क के झूले काफी समय से खराब व टूट...

सिरसा(का.प्र.): मोहंता गार्डन इलाके में रहने वाली पौने 6 बरस की छवि हर रोज अपने पापा को पार्क में झूले दिलवाने की जिद्द करती है परंतु उसकी यह जिद्द पूरी नहीं हो पाती। वजह है कि इस इलाके के पास पटेल बस्ती में स्थित जीवन सिंह जैन पार्क के झूले काफी समय से खराब व टूट हैं। पार्क में गंदगी पसरी है। पार्क के फाऊंटेन फव्वारे बंद हैं। पार्क में हर समय आवारा पशु विचरते रहते हैं। अकेले जीवन सिंह जैन ही नहीं शहर के तमाम पार्कों का यही हाल है। 2004 में लालबत्ती चौक के पास बनाया टाऊन पार्क सिरसा का दिल माना जाता था। 1 करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च कर पुरानी जेल के स्थान पर बनाए पार्क में 15 लाख से फाऊंटेन फव्वारे लगाए व अनेक झूलों की व्यवस्था की। फव्वारा चलता था तो म्यूजिक बचता था और बच्चों से लेकर किशोर यहां खूब एन्जाय करते थे। अब काफी सालों से फव्वारा बंद पड़ा है।

दरअसल, करीब 3 लाख की आबादी वाले सिरसा शहर में ग्रीनरी को लेकर कोई संजीदा नहीं है। शहर में पार्क तो अनेक बने परंतु उनका रख-रखाव उचित तरीके से नहीं हुआ। अक्सर पार्कों की देखरेख को लेकर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण और नगर परिषद में खटकती रही है। अभी कुछ समय पहले हुडा ने ए, बी, सी, डी, ई, अनाजमंडी और इंडस्ट्रीयल एरिया के पार्क मंडी टाऊनशिप को दे दिए। हुडा के पास इस समय सैक्टर 19 व 20 में करीब 16 छोटे-बड़े पार्क हैं। इसके अलावा हुडा के पास ही शहर का भादरा पार्क, टाऊन पार्क, रानियां रोड स्थित ग्रीन बैल्ट पार्क हैं। इसके अलावा एफ. ब्लॉक में 6 पार्क हैं। कुल मिलाकर हुडा के पास 30 के करीब पार्क हैं और इतने पार्कों को संभालने के लिए विभाग के पास महज 1 ड्राइवर एवं 3 माली हैं। ऐसे में अधिकांश पार्कों को विभिन्न मोहल्लों के रैजीडैंट वैल्फेयर एसोसिएशन या समाजसेवी संस्थाओं ने संभाला हुआ है। 

मसलन भादरा पार्क को सिरसा केयर सोसायटी ने गोद लिया हुआ है। सोसायटी सचिव अमित सोनी बताते हैं कि करीब एक बरस पहले उन्होंने पार्क गोद लिया। पूरे पार्क में गंदगी का आलम था। 10 ट्राली गंदगी व मलबा हटवाया। अभी पार्क में 18 बैंच लगाए हैं। पार्क में एक शैड बनवाया जाएगा ताकि बरसात के दिन में भी लोग यहां सैर कर सकें। इसके अलावा बच्चों के लिए झूले लगाए जाएंगे। वैसे देखें तो ए, बी, सी, डी, ई के कुछ पार्कों को छोड़कर शेष पार्कों की दशा दयनीय है। किसी भी पार्क में झूले नहीं हैं। बी.ब्लॉक में काफी बड़े एरिया में राजीव गांधी पार्क है। यहां झूले न होने के चलते यहां रहने वाले छोटुओं को मन मसोसना पड़ता है।

जुआरियों का अड्डा बने पार्क
ऐसा लगता है कि जैसे इन पार्कों का कोई वाली वारिस ही नहीं। बेसहारा पशु पार्कों में घुस आते हैं और गंदगी फैलाते हैं। यहां लोग बड़े आराम से बैठकर ताश की बाजियां लगाते हैं। धूम्रपान करते हैं, शराब पीते हैं और इन्हें ऐसा करने से रोकने वाला कोई नहीं होता।पार्क के बदतर हालात के कारण अब लोगों ने यहां सैर-सपाटा करना छोड़ दिया है। जिला प्रशासन भी इस अभियान में बड़े उत्साह के साथ आहुति डाल रहा है लेकिन इस अभियान को पलीता लगाने वाले लोगों की भी कमी नहीं। 

पर्यावरण के प्रति नहीं संजीदगी
वैसे भी देखें तो पार्कों से इत्तर भी सिरसा शहर पर्यावरण के लिहाज से पिछड़ा हुआ है। पर्यावरण के प्रति न शासकीय वर्ग चिंतित दिखाई पड़ता है, न प्रशासकीय और न ही आमजन। सिरसा जिला 4277 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में भी पेड़-पौधे नहीं है। पौधे कम हैं, इसलिए मौसम का मिजाज भी बिगड़ा हुआ है। बेमौसम में बरसात होती है और सावन में बदरा बरसते नहीं है। शहर में ग्रीनरी नहीं होने के कारण ही कि हर सड़क व गली धूल का दरिया बन गई है। बाइक पर या पैदल कहीं जाना हो आंखों में धूल के कण गिरते हैं और मुंह धूल से सन जाता है।

सफाई व्यवस्था बदहाल
शहर के अधिकांश पार्कों में सफाई व्यवस्था बदहाल है। इन लोगों की वजह से अभियान की धार कुंद पड़ती दिखाई दे रही है। शहर के विभिन्न पार्कों पर नजर डालें तो यहां सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है। जिनके कंधों पर इन पार्कों के रख-रखाव की जिम्मेदारी है वे खर्राटे भर रहे हैं और हर महीने सरकार को लाखों रुपए का चूना लगा रहे हैं क्योंकि रख-रखाव के बदले ये लोग सरकार से रकम वसूल करते हैं मगर काम बिल्कुल नहीं कर रहे। आर्य स्कूल के सामने स्थित डी.सी. पार्क, भादरा तालाब पार्क का हाल तो सबसे बुरा है।  

ग्रीन बैल्ट बदहाल
शहर में बहुतेरे पार्क पिछले दो दशक में बने। पार्क बने तो हरियाली की आस बंधी। 22 एकड़ में नगर में ग्रीन बैल्ट भी बनाई गई। पार्कों से हरियाली गायब है और ग्रीन बैल्ट अपनी दशा के चलते ड्राई अधिक नजर आती है। अधिकांश पार्कों में पेड़-पौधों का नाम नहीं है। बस एक बड़ी जगह पर चारदीवारी नजर आती है। 

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