जर्जर भवनों में पढ़ रहा कल का भविष्य, सरकार व शिक्षा विभाग बेसुध

Edited By Punjab Kesari, Updated: 16 Oct, 2017 02:58 PM

the future of tomorrow   the education department are unaware

शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने व बच्चों को देश का भविष्य कहने वाली सरकार न तो शिक्षा की तरफ कोई ध्यान दे रही है और न ही शिक्षा के मंदिरों की। शिक्षा के मंदिर या तो किराए पर चल रहे हैं या उनके भवन जर्जर हो चुके हैं। ऐसे में कई हादसे भी हो चुके है और...

रोहतक: शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने व बच्चों को देश का भविष्य कहने वाली सरकार न तो शिक्षा की तरफ कोई ध्यान दे रही है और न ही शिक्षा के मंदिरों की। शिक्षा के मंदिर या तो किराए पर चल रहे हैं या उनके भवन जर्जर हो चुके हैं। ऐसे में कई हादसे भी हो चुके है और बच्चे भी काफी खौफ में शिक्षा ग्रहण करते हैं। अगर शिक्षा विभाग ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया तो बड़ा हादसा होने की आशंका भी बनी हुई है। 

शिक्षा के मंदिरों में सुविधाओं का खासा अभाव देखने को मिल रहा है। जिले में प्राइमरी, हाई व सीनियर सैकेंडरी स्कूलों की बात करें तो करीब सवा 400 स्कूल हैं। इन स्कूलों में से कई स्कूलों के भवनों को कंडम घोषित कर नया भवन बनाया जा चुका है लेकिन बावजूद इसके कई स्कूलों के भवन जर्जर हो चुके हैं। दीवारों से पपड़ी उतर रही है और लैंटर भी नीचे गिर रहा है। इतना ही नहीं, स्कूलों की हालत देखकर अभिभावक भी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों की बजाय प्राइवेट स्कूलों में भेजना पसंद करते हैं। अगर स्कूलों में बच्चों को पर्याप्त सुविधाएं ही नहीं मिलेंगी तो सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कैसे बढ़ेगी। गुणवत्ता परक शिक्षा देने की बात करने वाली सरकार कब जर्जर भवनों की सुध लेगी, इसके बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है। 

जिले में कुछ प्राइमरी स्कूलों के पास अभी तक अपना भवन भी नहीं हैं जिसके कारण उन्हें किराए के भवनों में चलाया जा रहा है जो काफी जर्जर हो चुके हैं। शिक्षा विभाग उनकी मुरम्मत नहीं करवा रहा और भवन के मालिक भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे। जिले के करीब 4-5 स्कूल आज भी किराए के भवन में चल रहेहैं। जिनमें कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। शिवाजी कालोनी स्थित मंदिर में भी प्राइमरी स्कूल चल रहा है जिसकी दीवारें खराब हो चुकी हैं। दरवाजे भी टूटे हुए हैं और दीवारों से सीमेंट भी गिर रहा है। ऐसे में कोई भी हादसा हो सकता है। वहीं, मैडीकल कैम्पस में बने सरकारी स्कूल की खिड़की टूटी हुई है।

एक कमरे में चलती हैं 5 कक्षाएं 
शिक्षा विभाग के हालात देखें तो लगता है कि बच्चों को शिक्षा के मंदिर में नहीं, बल्कि किसी जेल में डाला जा रहा है। एक ही कमरे में 5 कक्षाएं चलती हैं। शिवाजी कालोनी स्थित मंदिर में चल रहे प्राइमरी स्कूल में 2 ही कमरे हैं जिसमें से एक कमरे के हालात काफी दयनीय हैं। ऐसे में एक ही कमरे में पांचों कक्षाओं के बच्चों को बैठाकर पढ़ाया जाता है। अब खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों को किस प्रकार की शिक्षा मिल रही होगी। 

सांपला में सरकारी स्कूल की गिरी थी छत
सांपला स्थित सरकारी स्कूल में गत वर्ष भवन की हालत खस्ता होने के कारण छत गिर गई थी। गनीमत रही कि हादसे के दौरान कमरे में कोई विद्यार्थी नहीं था। जिस समय यह हादसा हुआ, उससे 2 मिनट पहले ही सभी बच्चे व शिक्षक बाहर निकल आए  जिसके कारण बड़ा हादसा होते-होते टल गया था। ऐसे ही अन्य स्कूलों के हालात भी काफी दयनीय है जिनकी तरफ विभाग का कोई ध्यान नहीं है। जो भवन जर्जर हो चुके हैं, उनकी रिपोर्ट निदेशालय भेजी हुई है। शिवाजी कालोनी स्थित मंदिर में चल रहे प्राइमरी स्कूल को जल्द ही जनता कालोनी स्थित सरकारी स्कूल में शिफ्ट किया जाएगा। जर्जर भवनों की मुरम्मत के लिए जैसे ही निदेशालय की तरफ निर्देश होंगे, उनकी मुरम्मत का कार्य शुरू करवा दिया जाएगा।


 

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