सुकमा हमला:अंतिम विदाई पर हरियाणा के जांबाजों के परिवारों का छलका दर्द, सरकार को ठहराया जिम्मेदार

Edited By Updated: 26 Apr, 2017 11:45 AM

the pain of the martyrs of haryana

करनाल के खेड़ी मान सिंह गांव के शहीद राम मेहर संधू का पार्थिव शरीर पैतृक गांव पहुंच गया है। अंतिम दर्शन के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है।

करनाल/सोनीपत:करनाल के खेड़ी मान सिंह गांव के शहीद राम मेहर संधू का पार्थिव शरीर पैतृक गांव पहुंच गया है। अंतिम दर्शन के लिए लोगों का तांता लगा हुआ है। आपको बता दें कि शहीद के परिवार के लोग अपने लाडले के इंतजार में कल से भूखे प्यासे बैठे थे। लेकिन सरकार देश के शहीद बेटे के लिए एक हेलीकॉप्टर का इंतजाम नहीं कर पाई।
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शहीद के पार्थिव शरीर को अगर हेलीकॉप्टर के जरिए शाम ढलने से पहले गांव तक पहुंचा दिया गया होता तो मंगलवार शाम को ही शहीद का दाह संस्कार हो चुका होता।
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अब शहीद का दाह संस्कार आज सुबह गांव में किया जाएगा क्योंकि शहीद राम मेहर के पार्थिव शरीर को दिल्ली से बाय रोड़ देर रात करीब डेढ़ बजे कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में लाया गया, जहां से शहीद के शव को सुबह तड़के गांव में पूरे मान सम्मान के साथ लाया गया। आप यह सोचिए कि इतनी गर्मी में 3 दिन में पार्थिव शरीर की क्या हालत हो गई होगी ? और उस परिवार पर क्या बीत रही होगी, जिन्होंने अपने सपूत को इस देश के लिए कुर्बान कर दिया? जिन के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे? 
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19 साल में 7 जगह हो चुकी है पोस्टिंग 
राममेहर सी.आर.पी.एफ. में सन 1998 में भर्ती हुआ था। उनका लगभग 20 साल की सर्विस में करीब 7 जगह पोस्टिंग हो चुकी थी। उन्होंने अपनी सर्विस कि शुरूआत सन 1998 में असम से की थी और करीब 3 साल से उनकी पोस्टिंग छत्तीसगढ़ में की थी।
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6 माह पहले आया था अवकाश पर
शहीद के भाई राजकुमार ने बताया कि करीब 6 महीने पहले एक माह के अवकाश पर घर आया था।ड्यूटी पर जाते समय सभी से मिलकर गया व अपना ख्याल रखने के लिए बोला था। किसी को क्या पता था कि वे राममेहर से अंतिम बार मिल रहे हैं। शहीद के भाई ने कहा कि कुछ दिन पहले ही कंपनी पर नक्सलियों का हमला हुआ था लेकिन राममेहर कुछ दूरी पर होने की वजह से बच गया था।
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सरकार अपने जवानों को मरवा रही है:ग्रामीण
गांव के जगमाल संधू ने शहीद राममेहर की मौत के लिए सरकार को दोषी मानते हुए कहा कि सरकार अपने जवानों को मरवा रही है। उन्होनें कहा कि हमारे जवान अपने ही देश के नागरिकों द्वारा मारे जा रहे है। उन लोगों को इस बात का बहुत ही दु:ख है। संधू ने कहा कि यदि हमारा भाई पाकिस्तान के साथ सीमा पर हमले में मारा जाता तो उन लोगों को कोई दु:ख ना होता। लेकिन अपने ही देश में अपने ही लोगों द्वारा जवानों को मारा जा रहा है, इस बात का पूरे गांव के लोगों को दु:ख है। उन्होनें कहा कि सरकार को शहीद के नाम पर गांव में कोई शहीदी स्मारक या स्टेडियम बनवाना चाहिए तथा शहीद के परिवार को आर्थिक मदद के साथ साथ परिवार के सदस्य को नौकरी भी देनी चाहिए। उन्होने कहा कि सरकार को इस दिशा में कठोर कदम उठाने चाहिए ताकि हमारे जवानों की बिना वजह हत्या ना हो सके।

                                                                     सोनीपत
छतीसगढ के सुकमा में नक्सलीयों के हमले में शहीद नरेश कुमार का शव सोनीपत के जैनपुर गांव पहुंच गया है। परिजनों का रो-रोकर बुराहाल है। यहां भी अंतिम दर्शन के लिए ग्रामीणों का तांता लगा हुआ है। 
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सरकार इन हमलों को रोके, वरना सभी जवान शहीद हो जाएंगे- शहीद नरेश की पत्नी 
नरेश कुमार की पत्नी राजबाला का कहना है कि सरकार इन हमलों को रोके, अगर ऐसे ही चलता रहा तो सभी जवान शहीद हो जाएंगे। वहीं परिजन बलवान ने कहा है कि सरकार को परिवार के तीनों बच्चों के लिए कदम उठाना चाहिए। बेटी की शादी के लिए भी सरकार को मदद करनी चाहिए। वहीं परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी देनी चाहिए। गांव के सरंपच सुनील ने कहा है कि यह फौज पर पहला हमला नहीं है। सरकार को अब सख्त कदम उठाने चाहिए ताकि कोई और फौजी शहीद न हो। शहीद की याद में गांव में एक स्मृति स्मारक बनाया जाए और सरकार बाहरी हमलों से पहले देश के अंदर के हमले को रोके ताकि सभी फौजी सुरक्षित रह सके। 
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हर सुबह आखिरी राम-राम होती है भाई 
नरेश के भाई वजीर ने बताया कि नरेश अक्सर कहता था कि उसकी तैनाती ऐसी जगह पर है जहां पर रोज सुबह साथी जवानों से आखिरी राम-राम होती है। ऐसी आशंका रहती है कि पता नहीं शाम को सभी जवान वापस लौटेंगे या नहीं। सुबह निकलने से पहले सभी साथी ऐसे निकलते हैं जैसे आखिरी बार मिल रहे हों। छत्तीसगढ़ का सुकमा क्षेत्र नक्सलियों के बहुत ज्यादा प्रभाव में है और नक्सली हर समय जवानों पर हमला करने की घात में रहते हैं। 
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मां-बेटी को है पिता की शहादत पर गर्व 
शहीद नरेश की पत्नी राजबाला व बेटी प्रीति को अपने पिता की शहादत पर गर्व है। आंखों में आंसू लेकर बेटी प्रीति बताती है कि उसके पिता अक्सर कहते थे कि जवान देश पर कुर्बान होने के लिए है। प्रीति बताती है कि पिता हमेशा कहते थे कि वे कितने भी गरीब हों लेकिन स्वाभिमान से जीना व देश के लिए मरने को तैयार रहना उनकी सबसे बड़ी ताकत है। नरेश की बेटी प्रीति के अलावा 2 बेटे प्रीतम व प्रिंस भी हैं, जो 8वीं व छठी में पढ़ते हैं। प्रीति फिलहाल 12वीं कक्षा में पढ़ रही है। 
 

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