इस गाने के कारण राम रहीम ने बदल दिया हनीप्रीत का नाम

Edited By Punjab Kesari, Updated: 16 Sep, 2017 10:59 AM

former sage hansraj chauhan discloses

डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह के एक पूर्व साधू हंसराज चौहान ने शुक्रवार को खुलासा किया कि उसके हनीप्रीत से संबंध थे। हनीप्रीत अकसर उसके साथ ही जाती थी व दोनों के तंबू एक-दूसरे के नजदीक ही रहते थे।

सिरसा (भारद्वाज): डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह के एक पूर्व साधू हंसराज चौहान ने शुक्रवार को बताया कि  हनीप्रीत डेरा प्रमुख का दिया नाम है, उसकी असल पहचान प्रियंका तनेजा के रूप में थी। कुछ साधू पंजाबी सांग ‘नी प्रियंका प्रियंका’ की पंक्तियों से छेड़छाड़ करते थे व डेरा प्रमुख को इस बात से चिढ़ता था। इससे तंग आकर उसने नाम बदलकर हनीप्रीत रख दिया। उसने दोनों दामादों के नाम भी बदलकर शान-ए-मीत व रुह-ए-मीत कर दिया। पूर्व साधू हंसराज ने इस बात का खुलासा किया कि छत्रपति हत्याकांड के आरोपियों में शामिल कुलदीप का भी नाम भी बदलकर गोल्डल कर दिया था।

किए और भी खुलासे
हंसराज ने बताया कि हनीप्रीत अकसर उसके साथ ही जाती थी व दोनों के तंबू एक-दूसरे के नजदीक ही रहते थे। साधू ने आरोप लगाया कि इस बात की सुगबुगाहट डेरा प्रेमियों में रहती थी, लेकिन गुरमीत इसकी परवाह नहीं करता था। अगर कोई मुंह खोले तो गुरमीत मरवाकर 4 नम्बर मोटर के पास सुबह 4 बजे से पहले अंतिम संस्कार करवा देता था।

इसके अलावा डेरा प्रमुख पर आरोप लगाया कि भगवान की सीधी प्राप्ति व भक्तिमार्ग में मन लगने का झांसा देकर नपुंसक बना देता था। हंसराज ने दावा किया कि राम रहीम के कहने पर उसे भी नपुंसक बनाया गया था। इसके बाद उसने डेरा छोड़ दिया। इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में 25 अक्तूबर को होनी है। उसकी इच्छा का विरोध करने वाली युवतियां डेरा व  छात्रावासों से लापता हैं।

तलाशी के दौरान नर कंकाल न निकाल पाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि 200 एकड़ में बने डेरा को 2 दिन में कैसे खंगाला जा सकता है। इसके लिए वे एक बार फिर हाईकोर्ट जाएंगे। हनीप्रीत की विश्वास गुप्ता से शादी का खेल भी डेरा प्रमुख ने रचा। डेरा प्रमुख प्रिंयका उर्फ हनीप्रीत की शादी के समय दूल्हे विश्वास के साथ सज धजकर घोड़ा बग्गी में बैठ गया। अर्से के बाद डेरा प्रमुख की पुत्रवधू हुस्नप्रीत ने विरोध किया और वह अपने मायके बठिंडा जा बैठी। 1990 में डेरे की कमान हाथ में आने के बाद गुरमीत साधुओं व साध्वियों की पहचान छिपानी शुरू की, उनको नए नाम दिए। उनके शरीर के आधार पर फल, फ्रूट व सब्जियों के नाम दिए जाने लगे। कई साध्वियों के नाम गुरकैट, गुरफ्लावर रखे गए तो अपने दामाद के नाम भी बदल दिए। मसलन डेरा प्रमुख ने अपने ‘कानून’ में हर किसी को ही ढाला।

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