Edited By Punjab Kesari, Updated: 27 Sep, 2017 09:55 AM
बलात्कार मामले में सजा काट रहे गुरमीत सिंह की बादशाहत क्या हिली कि अब पंजाब, हरियाणा व अन्य राज्यों में
चंडीगढ़(ब्यूरो): बलात्कार मामले में सजा काट रहे गुरमीत सिंह की बादशाहत क्या हिली कि अब पंजाब, हरियाणा व अन्य राज्यों में स्थित उनके डेरों में सच्चे सौदे ही नहीं रहे। असल में सच्चे सौदों का झूठा भ्रम गुरमीत द्वारा फैलाया गया था ताकि सच्चाई व भगवान के नाम पर उसके प्रति आस्था और गहरी हो जाए। अब स्वयं उसके भक्तों को उस कटु सच के बारे में पता चल गया है कि गुरमीत के डेरों में सच्चे सौदे तो होते ही नहीं थे, केवल भ्रम का जाल था जिसकी जकड़न अब समाप्त होने लगी है।
डेरों में होने वाली व्यावसायिक गतिविधियां बंद होने के कारण कारोबार भी ठप्प हो गया है जिस कारण हजारों लोगों के लिए रोजगार का संकट आए दिन गहराता जा रहा है। इसी प्रकार डेरों में दिख रही शून्यता के चलते यह भी स्पष्ट होने लगा है कि डेरे के अनुयायियों की उनके प्रति श्रद्धा का ग्राफ बुरी तरह से गिरा है यानी उनकी संख्या में निरंतर गिरावट होती जा रही है।
उधर, हरियाणा सरकार ने वह सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं जिनके बारे में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने दिशा-निर्देश दिए थे। वास्तव में राज्य में डेरों की कुल सम्पत्तियों की जिलावार रिपोर्ट 27 सितंबर को हाईकोर्ट में पेश की जानी है। जांच एजैंसियों का मानना है कि अब तक संबंधित 16 जिलों के प्रशासन ने जो संपत्तियों से जुड़ी मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार की है, उसके अनुसार डेरों की कुल 1600 करोड़ की संपत्ति है। यह भू-असैस्मैंट केवल कलैक्टर रेट पर आधारित है जबकि वास्तविक मूल्य का आकलन बाजार भाव से किया जाए तो डेढ़ गुणा अधिक कीमत हो सकती है।
एम.एस.जी. प्रोडक्ट्स के वितरक उलझे
एम.एस.जी. प्रोडक्ट्स के 500 वितरकों का कारोबार बीच में ही उलझकर रह गया है। उनका करोड़ों का निवेश एम.एस.जी. को पहले ही हो चुका है लेकिन 25 अगस्त को गुरमीत के जेल जाने के बाद उसके उत्पाद वितरण का काम बीच में ही अटक गया। ऐसे वितरकों में एम.एस.जी. अचार, बिस्कुट, कैंडी व एलोवेरा खास तौर पर शामिल हैं। बता दें कि एम.एस.जी. का वार्षिक वित्त कारोबार करीब 120 करोड़ का है। इसी प्रकार दैनिक आधार पर काम करने वाले मजदूरों की संख्या में भी 50 प्रतिशत की गिरावट आंकी गई है।
संपत्ति जब्त करना अवैध : प्रवक्ता
डेरा सच्चा सौदा सिरसा की ओर से संदीप मिश्रा ने बताया कि प्रशासन की संपत्तियों को जब्त करने या तालाबंदी की कार्रवाई पूरी तरह से नियमों व कायदों की उल्लंघना है। हाईकोर्ट का आदेश सम्पत्तियों का मूल्यांकन करने संबंधी था जिसकी अवहेलना प्रशासन के स्तर पर की गई है। संपत्ति जब्त होने के कारण नियमित तौर पर किए जाने वाले भुगतान रुक गए हैं। डेरा सभी प्रकार के सरकारी करों का नियमित भुगतान पहले से ही करता आ रहा है।
डेरों व नामचर्चा घरों की अनुमानित कलैक्टर रेट की कीमत जिसमें अकेले सिरसा जिले की संपत्तियां ही 1453 करोड़ की मूल्यांकित की गई हैं।
जिला मूल्य
सिरसा 1,453 करोड़
अंबाला 32.20 करोड़
झज्जर 29.11 करोड़
फतेहाबाद 20.70 करोड़
जींद 19.33 करोड़
सोनीपत 17.65 करोड़
कैथल 11.16 करोड़
कुरुक्षेत्र 7.42 करोड़
हिसार 7.03 करोड़
करनाल 6.00 करोड़
भिवानी 3.87 करोड़
यमुनानगर 3.14 करोड़
पानीपत 2.82 करोड़
फरीदाबाद 1.56 करोड़
रोहतक 47 लाख
रेवाड़ी 37 लाख