एजैंसी को उपभोक्ता फोरम का झटका, कम्पनी देगी कार की कीमत सहित 50 हजार हर्जाना

Edited By Punjab Kesari, Updated: 15 Dec, 2017 12:43 PM

car aggrieve shocks consumer forum  50 thousand compensation

उपभोक्ता फोरम ने वोक्सवेगन कार एजैंसी को बड़ा झटका दिया है। कस्टमर को घटिया इंजन की कार बेचने व सर्विस प्रोवाइडर की ओर से परेशान किए जाने के मामले में फोरम के अध्यक्ष दीनानाथ अरोड़ा, सदस्य अनामिका गुप्ता व पुष्पिन्द्र कुमार की अदालत ने कार एजैंसी को...

अम्बाला शहर(ब्यूरो):उपभोक्ता फोरम ने वोक्सवेगन कार एजैंसी को बड़ा झटका दिया है। कस्टमर को घटिया इंजन की कार बेचने व सर्विस प्रोवाइडर की ओर से परेशान किए जाने के मामले में फोरम के अध्यक्ष दीनानाथ अरोड़ा, सदस्य अनामिका गुप्ता व पुष्पिन्द्र कुमार की अदालत ने कार एजैंसी को आदेश सुनाए कि वह उपभोक्ता को कार की पूरी कीमत के साथ 50 हजार रुपए मुआवजा उपभोक्ता को आर्थिक व मानसिक कष्ट पहुंचाने व 10 हजार रुपए कानूनी खर्च के तौर पर शामिल हैं। यदि निर्धारित अवधि में कार की कीमत अदायगी न की तो 9 प्रतिशत ब्याज देना होगा। 

दरअसल, सैक्टर-9 निवासी जसविन्द्र पाल सिंह ने जंडली ओवरब्रिज के पास वोक्सवेगन एजैंसी  से करीब 10 लाख रुपए की एक विंटो कार खरीदी थी। करीब एक वर्ष के दौरान ही उस कार के इंजन में खराबी आ गई। जसविन्द्र वारंटी पीरियड में इंजन रिपेयरिंग करवाने एजैंसी में पहुंचा तो एजैंसी के एजैंट ने कार का इंजन बदल दिया। लेकिन इसके करीब 6 माह बाद ही कार इंजन के एक पार्ट (क्रैन शाफ्ट) में फिर से खराबी आ गई। इस बार इंजन रिपेयर के बाद कार मालिक को दे दी गई। कुछ दिन बाद जसविन्द्र कार की सर्विस करवाने के लिए एजैंसी पहुंचे। कार सर्विस के लिए वहां खड़ी करके वह वापस आ गए और कुछ दिन बाद पुन: एजैंसी पहुंचे तो उन्होंने देखा कि मैकेनिकों ने उनकी कार के इंजन समेत गाड़ी के कई अन्य पार्ट्स खोल रखे हैं। जिस पर मैकेनिक ने कहा कि वायरिंग की प्राब्लम के चलते गाड़ी को खोला गया है। 

लेकिन इस पर जसविन्द्र ने ऐतराज जताया और कहा कि गाड़ी खोलने से पहले उसे बताना चाहिए था। उन्होंने कार के फोटोग्राफ लिए और इंसाफ के लिए उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। इतना ही नहीं, एजैंसी से तंग आकर उन्हें नई कार भी ली। मामले की सुनवाई करते हुए फोरम ने आदेश दिया कि एजैंसी उपभोक्ता को 30 दिन के अंदर कार की पूरी कीमत दे। निर्धारित अवधि में कीमत अदायगी न करने पर 9 प्रतिशत ब्याज का प्रावधान होगा। इतना ही नहीं, फोरम ने माना कि खरीदार को आर्थिक व मानसिक कष्ट हुआ। इसके लिए एजैंसी उसे 50 हजार रुपए मुआवजा व 10 हजार रुपए कानूनी खर्च के तौर पर दे। वहीं, दूसरे ओर अदालत ने कहा कि उपभोक्ता भी कार का रजिस्ट्रेशन एजैंसी के नाम अथवा उनके कहेनुसार करवाने के लिए पाबंद होगा।

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