जागरूकता अभियान जोरों पर, जिले के 250 गांव होंगे पॉलीथिन मुक्त

Edited By Punjab Kesari, Updated: 19 Jan, 2018 12:46 PM

250 villages of the district became polythene free

जिले को पूरी तरह से पॉलीथिन मुक्त बनाने के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत जागरूकता अभियान जोरों से चल रहा है। अब तक जिले के 301 में से 250 गांवों को पॉलीथिन मुक्त बनाया जा चुका है। गांवों में पंचायतें यह सुनिश्चित कर रही हैं कि गांवों में पॉलीथिन किसी...

जींद(ब्यूरो):जिले को पूरी तरह से पॉलीथिन मुक्त बनाने के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत जागरूकता अभियान जोरों से चल रहा है। अब तक जिले के 301 में से 250 गांवों को पॉलीथिन मुक्त बनाया जा चुका है। गांवों में पंचायतें यह सुनिश्चित कर रही हैं कि गांवों में पॉलीथिन किसी भी सूरत में नहीं बिकने पाए। अधिकारी गांवों में पॉलीथिन को लेकर जागरूकता रैली की कमान संभाल रहे हैं। वह खुद मौके पर जाकर जागरूकता रैली में शामिल हो रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से पॉलीथिन पर पाबंदी लगाई गई है। इसके बावजूद शहरों और गांवों में पॉलीथिन की बिक्री जोरों पर है। 

गांवों को पॉलीथिन मुक्त बनाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने अभियान शुरू किया है। गांव को पॉलीथिन मुक्त बनाने वाली पंचायत को एक लाख रुपए की राशि 26 जनवरी को दी जाएगी। जिले के सातों ब्लाक को पूरी तरह से पॉलीथिन मुक्त बनाने के लिए अधिकारी बेहद गंभीर हैं। नरवाना और उचाना की एस.डी.एम. डा. किरण सिंह खुद गांवों का दौरा कर लोगों को पॉलीथिन का प्रयोग नहीं करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। उन द्वारा गांवों में जागरूकता रैली निकलवाई जा रही है ताकि लोगों जान सकें कि पॉलीथिन का प्रयोग करने के क्या-क्या नुक्सान हैं।

छात्राओं के अलावा गांवों के लोगों का सहयोग जागरूकता रैली में लिया जा रहा है। अब तक जिले की 250 पंचायतों को पॉलीथिन मुक्त बनाया जा चुका है। गांवों में पंचायतें अब पॉलीथिन की बिक्री नहीं हो, इस पर नजर रख रही हैं। जिला प्रशासन के अधिकारियों की मानें तो जिले को 26 जनवरी तक पूरी तरह से पॉलीथिन मुक्त बनाने का टारगेट रखा गया है। इसी टारगेट को लेकर काम किया जा रहा है। गांवों में जागरूकता रैली निकाले का काम किया चल रहा है।

एक भी दुकानदार ने जमा नहीं करवाया था स्टाक
नगर परिषद ने जब 2 साल पहले पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगा दिया था, तो उस समय मुनादी करवाते हुए नगर परिषद ने दुकानदारों से आग्रह किया था कि दुकानदार, पॉलीथिन विक्रेता और संग्रह कर्ता नगर परिषद में 25 नवम्बर तक स्टाक को जमा करवाएं लेकिन एक भी दुकानदार स्टाक या पॉलीथिन को जमा करवाने नहीं पहुंचा। हैरानी की बात यह है कि जिले की प्रत्येक दुकान पर पॉलीथिन का प्रयोग होता है और शहर में भारी संख्या में पॉलीथिन की बिक्री होती है। 

डेढ़ साल से बंद पड़ा चालान काटने का अभियान
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड का दफ्तर जींद से भिवानी में शिफ्ट होने के बाद नगर परिषद का पॉलीथिन मिलने पर चालान काटने का अभियान डेढ़ साल से बंद पड़ा है। डेढ़ साल से नगर परिषद के अधिकारियों ने एक भी दुकान पर दस्तक नहीं दी है। इसके चलते शहर की प्रत्येक दुकान, रेहडिय़ों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर पॉलीथिन का प्रयोग करते लोग देखे जा सकते हैं। नगर परिषद द्वारा 2 साल पहले जब पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाया गया था, उस समय लोगों में पॉलीथिन रखने को लेकर भी भय का माहौल बन गया था।
 

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