सुभाष बराला की कुर्सी बचेगी या जाएगी, संशय बरकरार

Edited By Punjab Kesari, Updated: 08 Aug, 2017 10:02 AM

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भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला की कुर्सी जाएगी या बचेगी, यह सवाल राजनीतिक व प्रशासनिक गलियारों में मंथन का विषय है। इस मामले में भाजपा की चौतरफा किरकिरी को देखते

चंडीगढ़(बंसल/पांडेय):भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला की कुर्सी जाएगी या बचेगी, यह सवाल राजनीतिक व प्रशासनिक गलियारों में मंथन का विषय है। इस मामले में भाजपा की चौतरफा किरकिरी को देखते हुए यह चर्चा है कि बराला इस्तीफा दे सकते हैं लेकिन भाजपा के थिंकर सोच रहे हैं कि अगर बराला का इस्तीफा ले लिया जाता है तो भी विपक्षी दल इस मुद्दे को उनके विरुद्ध इस्तेमाल करेंगे और अगर बराला को पद पर बरकरार रखा जाता है तो भी मुद्दा बनाएंगे।  

मुख्यमंत्री खेमे की चली तो नहीं हटेंगे बराला
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला मुख्यमंत्री मनोहर लाल के विश्वासपात्रों में से एक माने जाते हैं जिसके चलते मुख्यमंत्री खुलकर उनके समर्थन में उतरे हुए हैं। हालांकि चर्चा रही कि पार्टी हाईकमान मुख्यमंत्री से भी नाराज हो गया है कि वह बराला के समर्थन में इतना खुलकर क्यों आगे आ रहे हैं। केंद्र में बैठे मुख्यमंत्री के नजदीकी बराला के समर्थन में लांबिग कर रहे हैं कि उनके पद को बरकरार रखा जाए। यह भी कहा जाता है कि मुख्यमंत्री के समर्थन के चलते ही उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी मिली थी।

किरकिरी से बचने के किरकिरी से बचने के लिए दे सकते हैं इस्तीफा
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला के इस्तीफे की वजह अब पार्टी की किरकिरी होना हो सकता है। मौजूदा हालात में जिस तरह से यह मामला मीडिया की सुर्खियां बन गया है, उसमें किसी न किसी तरह से प्रधानमंत्री मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को सोचना ही पड़ेगा। इतना ही नहीं पार्टी में मुख्यमंत्री का विरोधी खेमा भी सक्रिय हो गया है। ऐसे हालात में तो यही लगता है कि देर-सवेर बराला की कुर्सी जाना तय है।

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