Edited By Punjab Kesari, Updated: 01 Jan, 2018 10:53 PM
करनाल के गांव फफड़ाना में सतीश कुमार सांपो के साथ दोस्त की तरह खेलता है। सतीश को बचपन में सांप ने काट लिया था जिसके इलाज के लिए उसे डॉक्टर के पास ले जाया गया। वहां डॉक्टर ने बताया कि, जिस सांप ने काटा था वो जहरीला नहीं था। तभी से सतीश को जूनून सवार...
करनाल: करनाल के गांव फफड़ाना में सतीश कुमार सांपो के साथ दोस्त की तरह खेलता है। सतीश को बचपन में सांप ने काट लिया था जिसके इलाज के लिए उसे डॉक्टर के पास ले जाया गया। वहां डॉक्टर ने बताया कि, जिस सांप ने काटा था वो जहरीला नहीं था। तभी से सतीश को जूनून सवार हो गया और उसने सांपो के साथ उनकी प्रजातियों के बारे में जानने का प्रयास करने लगा। और बाद में एरिये का स्नेकमैन बन गया। इसके लिए सतीश न तमिलनाडू से ट्रेनिंग भी ली।
लोगों के घरों से सांप पकड़ कर जंगल में छोडऩा काम
सतीश लोगों के घरों से सांप पकड़ता है और सांपो को सुरक्षित जंगलों में छोड़ देता है। लोगों द्वारा जो भी मेहनताना दिया जाता है उसे यह रख लिया जाता है। सांपों को मारने के बजाए उन्हें जंगल में छोडऩे के पीछे सतीश की मानना है कि, इससे सांपों की प्रजातियां बची रहेंगी। सतीश ने लोगों तक पहुंचने के लिए प्रदेश के हर जिले में लगभग हर नाई की दुकान पर अपना पोस्टर लगा रखा है। जिसमें उसने अपना मोबाइल नंबर दे रखा है। इस नंबर पर फोन करके कोई भी सतीश की सेवाएं ले सकता है।
तमिलनाडु से ली ट्रेनिंग
जहरीले से जहरीले सांप को पकडऩे के लिए सतीश ने तमिलनाडु से ट्रेनिंग ली है। सतीश ने बताया कि वह समाज सेवा के लिए यह कार्य कर रहे हैं। सतीश ने सांप पकडऩे और उनसे जुड़ी अहम जानकारियों के लिए स्नेक पार्क चेन्नई के साथ-साथ पुणे, तमिलनाडु और वेस्ट बंगाल में भी सांपों के विशेषज्ञों से ट्रेनिंग ली है।
सांप को बीन की धुन पर नाचने की वजह
सतीश का कहना है की खेल-तमाशा दिखाने वाले कुछ लोग सांप को अपनी बीन की धुन पर नचाने का दावा करते हैं। जबकि इसके पीछे सच्चाई कुछ और ही है। सतीश ने बताया कि, सांपों के कान नहीं होते, दरअसल बीन की धुन पर सांपों का नाचना उनकी देखने और सुनने की शक्तियों और क्षमताओं से जुड़ा है। सांप हवा में मौजूद ध्वनि तरंगों पर प्रतिक्रिया नहीं दर्शाते लेकिन धरती की सतह से निकले कंपनों को वे अपने निचले जबड़े में मौजूद एक खास हड्डी के जरिए ग्रहण कर लेते हैं।
सतीश ने बताया कि, सांपों को स्पष्ट दिखाई भी नहीं देता,वह केवल हिलती-डुलती वस्तुओं को देखने में अधिक सक्षम हैं। सपेरे की बीन को इधर-उधर लहराता देखकर सांप उस पर नजर रखता है और उसके अनुसार ही अपने शरीर को लहराता है और लोग समझते हैं कि सांप बीन की धुन पर नाच रहा है।