यहां स्नान करने से मिलती है चर्म रोग से मुक्ति, सावन में लगता है भक्तों का तांता

Edited By Nisha Bhardwaj, Updated: 17 Jul, 2017 10:45 AM

shiv kund in sohna

दिल्ली से करीब 60 किमी. दूर और गुड़गांव से 25 किमी. दूर अरावली की तलहटी में बसा सोहना कस्बा अपने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और मान्याताओं के कारण देश भर में प्रसिद्व....

गुड़गांव:दिल्ली से करीब 60 किमी. दूर और गुड़गांव से 25 किमी. दूर अरावली की तलहटी में बसा सोहना कस्बा अपने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और मान्याताओं के कारण देश भर में प्रसिद्व है। यहां शिव के रूप में विख्यात धार्मिक तीर्थ स्थल श्रीशिव कुंभ साख्मजती अघमर्षन कुंड की गाथाएं दूर-दूर तक फैली हैं। यह शिव कुंड देशभर में आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से काफी प्रसिद्ध है। सावन के महीने में इस कुंड का महत्व अौर बढ़ जाता है। दरअसल इस कुंड की प्रसिद्धि की वजह यहां से निकलने वाला नैचुरल गंधक युक्त गर्म जल है। कहा जाता है कि इस गंधक युक्त जल से स्नान करने से सभी चर्म रोग ठीक हो जाते हैं।
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सावन के हर सोमवार को लगता है भक्तों का तांता
सावन महीने के हर सोमवार को शिव कुंड पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसके अलावा सोमवती अमावस, महाशिवरात्रि कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां मेला लगता है। कस्बे के जिस घर से शिव भक्त कांवड़िए गंगाजल लेने जाते हैं, उनका परिवार यहां रोजाना आकर मंदिर में पूजा-पाठ करता है। इसके अलावा कस्बा आस-पास के शिवभक्त मंदिर में आकर अपनी कांवड़ चढ़ाते हैं और भगवान भोेलेनाथ से अपनी मनोकामना मांगते हैं। 
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शिवकुंड में नहाने से दूर होते हैं चर्मरोग
शिवभक्तों का कहना है कि भगवान भोलेनाथ की कृपा से यहां शिवकुंड में नहाने से उनके सभी चर्म रोग दूर हो जाते हैं। गर्म पानी को लेकर सोहना शिव कुंड वैसे तो पूरे देश में प्रसिद्ध है। लेकिन यहां पर खास मौकों पर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान उत्तरप्रदेश के श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
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बंजारे ने की थी इस कुंड की खोज
माना जाता है कि 900 साल पहले राजा सावन सिंह ने सोहना बसाया था। मंदिर के महंत विष्णु प्रसाद ने बताया कि चतुर्भुज नाम के एक बंजारे ने इस कुंड की खोज की और गुंबद बनवाया था। कुंड पर सोहना सहित मंदिर, भवन बनवाए और तभी से इस कुंड का नाम शिव कुंड पड़ा। धर्मशाला का निर्माण जयपुर निवासी हरनंद राय गुलाब राय खेतान ने 1637 पिता की स्मृति में कराया था। 1542 में सरकार की ओर से लोगों को इस धार्मिक स्थल की देखभाल का कार्यभार सौंपा गया, तभी से इस कुंड की देखभाल शिव कुंड कमेटी द्वारा की जा रही है। हालांकि साल 2002 में यहां से निकलने वाले नेचुरल झरने को बंद कर दिया गया था। इसके बाद शिव कुंड मंदिर कमेटी केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत ने कुंड के लिए बोरिंग कराई थी। तभी से कुंड के नजदीक लगे ट्यूबवेल से ही गर्म पानी निकलता रहता है। इस गर्म पानी को लेकर यहां वैज्ञानिक कई बार रिसर्च भी कर चुके हैं।
 

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