राई स्पोर्ट्स स्कूल मामला: हॉस्टल अधीक्षक सुनील की बर्खास्तगी पर स्टे

Edited By Punjab Kesari, Updated: 30 Aug, 2017 09:29 AM

rai sports school case

राई स्पोर्ट्स स्कूल में कार्यरत हॉस्टल अधीक्षक सुनील कौशिक के अनुभव प्रमाणपत्र को फर्जी बताकर आई.जी. एवं स्कूल निदेशक भारती अरोड़ा द्वारा उनकी सेवा बर्खास्त करने पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया है।

सोनीपत:राई स्पोर्ट्स स्कूल में कार्यरत हॉस्टल अधीक्षक सुनील कौशिक के अनुभव प्रमाणपत्र को फर्जी बताकर आई.जी. एवं स्कूल निदेशक भारती अरोड़ा द्वारा उनकी सेवा बर्खास्त करने पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया है। हाईकोर्ट ने 23 नवम्बर के लिए संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने कहा कि बिना नियमित जांच किए सुनील को बर्खास्त कर दिया। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि सुनील के पत्रकार भाई ने स्कूल में अनियमितताओं को उजागर किया था, इसलिए सुनील को चार्ज शीट किया गया। इससे पहले जुलाई में आई.जी. द्वारा सुनील पर डाली गई 9 लाख 9 हजार रुपए के करीब की रिकवरी के आदेश पर अतिरिक्त मुख्य सचिव ने स्टे लगा दिया है। इस रिकवरी में खास बात यह है कि 3 जांच अधिकारियों ने यह रिपोर्ट दी थी कि इसमें सुनील का कोई दोष नहीं बनता। इसके बावजूद बदले की भावना से कार्रवाई करते हुए रिकवरी के आदेश दिए।


बचाव पक्ष के वकील सुनील कुमार नेहरा का कहना है कि मोतीलाल नेहरू खेलकूद विद्यालय राई में जनवरी 2016 में नियमों को ताक पर रख लाखों रुपए की खरीद की गई। इस मामले को सुनील के पत्रकार भाई ने अखबार में छापा था। इसके बाद इस प्रकरण पर प्रदेश के वित्त विभाग ने जांच बिठाई और मामला पकड़ में आने पर तत्कालीन लेखा अधिकारी नीलम कौशिक को निलंबित कर दिया। बदले की भावना से पत्रकार के भाई सुनील पर कार्रवाई करना शुरू किया। उन्हें चार्जशीट कर जांच बिठाई गई। इस जांच में दोनों अधिकारियों ने सुनील को क्लीन चिट दी जबकि इस मामले में एक जांच पहले ही आई.ए.एस. अधिकारी एवं तत्कालीन प्रिंसीपल राजीव रतन करवा चुके हैं और इसमें भी सुनील के कामकाज की सराहना की गई है। इसके बाद सुनील के प्रमाणपत्रों की जांच शुरू करवाई। पहले विजीलैंस से बिना किसी अनुमति के यह जांच करवाई गई। इसके बाद ये जांच सी.एम. फ्लाइंग को दी गई। इसमें भी बड़ी बात यह है कि शिकायतकर्ता कोई और नहीं बल्कि आई.जी. भारती ने ही पत्र लिखकर यह जांच करवाने को कहा। 

इस जांच रिपोर्ट में कहा गया कि दोनों संबंधित स्कूलों ने माना कि सुनील उनके यहां काम करता था और जो प्रमाणपत्र दिया है वह उनकी ओर से जारी किया गया है लेकिन स्कूलों ने प्रदेश सरकार के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 2004 से 2009 के बीच काम करने वाले इस कर्मचारी का हाजिरी रजिस्टर उनके पास इस समय मौजूद नहीं है। प्राइवेट स्कूल ए.सी.आर. नहीं लिखते हैं। इसी को आधार बनाकर आई.जी. ने सुनील को बर्खास्त कर दिया। इस मामले में 24 अगस्त को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस अमोल रतन सिंह की कोर्ट ने बर्खास्तगी पर स्टे लगा दिया है।

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