चार महीने से असुविधाओं का दंश झेल रहा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

Edited By Punjab Kesari, Updated: 29 Nov, 2017 01:57 PM

primary health center with a bite of inconvenience for four months

सरकार जहां स्वच्छ भारत व स्वच्छ हरियाणा अभियान पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर गोहाना के रूखी गांव का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले 4 महीने से असुविधाओं का दंश झेलने को मजबूर है। स्वास्थ्य केंद्र में न तो पीने के पानी की...

गोहाना(सुनील जिंदल): सरकार जहां स्वच्छ भारत व स्वच्छ हरियाणा अभियान पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर गोहाना के रूखी गांव का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले 4 महीने से असुविधाओं का दंश झेलने को मजबूर है। स्वास्थ्य केंद्र में न तो पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही बिजली की। यहां तक कि स्वास्थ्य केंद्र में रोगियों को भर्ती करने के लिए वार्डों में बेड नहीं है और शौचालय को कोई अता-पता नहीं है। मरीजों को दवाओं का वितरण भी टेबल पर रखकर किया जा रहा है। चौकीदार न होने के कारण कई बार चोरी भी हो चुकी है।

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मरम्मत के लिए मिले थे 10 लाख रूपए
गौरतलब है कि, रूखी गांव में 14 साल पहले वर्ष 2004 में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किया गया था। विभाग की अनदेखी के चलते बिना रखरखाव के स्वास्थ्य केंद्र का भवन कंडम हालत में आ गया है। एक साल पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की मरम्मत कराने के लिए मुख्यमंत्री द्वारा करीब 10 लाख रुपये की ग्रांट देने की घोषणा की गई थी। जिस पर लोक निर्माण विभाग द्वारा 9 लाख 32 हजार रुपये में मरम्मत का ठेका सोनीपत एक ठेकेदार को दिया गया था। इस राशि से चौखट, जंगले बदलने के अलावा बिजली की फिटिंग करना, पीने के पानी व सीवरेज का काम करना शामिल था ठेकेदार ने काम तो शुरू कर दिया, लेकिन एक माह बाद ही काम बंद करके चला गया।

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अस्पताल का स्टॉफ खरीद रहा पानी
केंद्र में कार्यरत लैब टेक्नीशियन महेंद्र सिंह और स्टॉफ नर्स ने बताया कि, मरम्मत कार्य पूरा न होने के कारण पानी की सप्लाई बंद हो गई है। फिलहाल, अस्पताल में पानी की व्यवस्था स्टॉफ द्वारा अपनी जेब से पैसा खर्च करके किया जाता है। उन्होंने बताया कि, खरीदे गए पीने के पानी को ही अन्य काम जैसे बर्तन व हाथ धोने के काम में लिया जा रहा है। पानी की आपूर्ति न होने से रोगियों के अलावा स्टॉफ को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

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शौचालयों की असुविधा दिलाती है शर्म
वहीं केंद्र की फार्मासिस्ट शकुंतला का कहना है कि, शौचालय का रखरखाव न होने के कारण अस्पताल के महिला स्टॉफ व रोगियों को शौच इत्यादि के लिए खुले में जाना पड़ता है। अस्पताल में आने वाली महिला रोगी टेस्ट आदि के लिए पेशाब का सेंपल खुले में जाकर ले आने को मजबूर हैं। जिस कारण उन्हें व स्टॉफ शर्मशार होना पड़ रहा है। अस्पताल में कोई सफाई कर्मचारी भी नियुक्त नहीं है।

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गंभीर रोगियों को रेफर करना मजबूरी
स्वास्थ्य केंंद्र के एमओ डॉ. हरीश ने बताया कि, अस्पताल के अधूरे काम को पूरा करने के लिए एसएमओ समेत विभाग के आला अधिकारियों व लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को कहा जा चुका है। उसके बाद भी काम को पूरा नहीं कराया जा रहा है। अस्पताल का काम पूरा न होने के कारण रोगियों का सही ढंग से इलाज नहीं कर पा रहे हैं। गंभीर रोगी आने पर उसे तुरंत रोहतक या खानपुर कलां में रेफर किया जाता है। रोजाना अस्पताल में 50 से 60 रोगी आ रहे हैं।

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