हाईकोर्ट ने कहा, मुरथल में हुआ था रेप, पुलिस करे जांच

Edited By Updated: 20 Jan, 2017 10:35 AM

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‘मुरथल मामले में शिकायतकर्त्ता बॉबी जोशी और राजकुमार के अहम बयानों और घटनास्थल से मिले महिला वस्त्रों को देखते हुए इस बात से इंकार नहीं किया

चंडीगढ़ (बृजेंद्र):‘मुरथल मामले में शिकायतकर्त्ता बॉबी जोशी और राजकुमार के अहम बयानों और घटनास्थल से मिले महिला वस्त्रों को देखते हुए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि मुरथल में गैंगरेप नहीं हुआ था।’ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने वीरवार को मुरथल गैंगरेप की सुनवाई के दौरान ‘ओपन कोर्ट’ में अपने मौखिक आदेश लिखवाते हुए यह बात कही। जस्टिस एस.एस. सारों ने मामले में एस.आई.टी. का जवाब सुनने के बाद इसे कहा कि वह ट्रायल कोर्ट में एफिडेविट दायर कर बताएं कि केस की जांच अभी जारी है। ऐसे में अभी आरोप तय न किए जाए। वहीं केस की अगली सुनवाई 28 फरवरी तक ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोप तय करने पर रोक लगा दी है। दूसरी ओर गैंगरेप और किडनैपिंग की धारा को पुख्ता करने के लिए एस.आई.टी. को ‘प्रयास’ करने को कहा गया है। सुनवाई के दौरान एस.आई.टी. हैड आई.जी. ममता सिंह ने हाईकोर्ट के आदेशों पर केस को लेकर जांच की स्थिति और ए.डी.जे. गगनगीत कौर द्वारा पुलिस जांच को लेकर किए गए कमैंट्स का लिखित जवाब कोर्ट को दिया गया। 

 

पुलिस ने बताया कि केस की जांच जारी है और मामले में पीड़िता की तलाश जारी है और साथ ही गवाहों और आरोपियों को लेकर भी छानबीन की जा रही है। अनुपम गुप्ता ने तारिक अनवर को गलत तथ्य पेश करने को लेकर उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग भी कोर्ट के समक्ष रखी। उन्होंने कहा कि पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करना चाह रही है। वहीं मामले में पुलिस द्वारा पकड़े गए आरोपियों के खिलाफ केस में गैंगरेप और किसी व्यक्ति (महिला) को नुक्सान पहुंचाने के मकसद से किडनैप करने की आपराधिक धाराओं को पुलिस चालान में हटाने को लेकर प्रश्न किया। पुलिस ने बताया कि मामले में पांचों आरोपियों का डी.एन.ए. और ब्लड सैंपल लिया गया था मगर मौके पर मिले कपड़ों पर सीमन से इसका मिलान नहीं हुआ। 

 

पुलिस जांच पर उठाए सवाल
बहस के दौरान अनुपम गुप्ता ने पुलिस जांच को गैर-जिम्मेदाराना बताया गया। एस.आई.टी. की जांच पर उठे सवालों को लेकर कोर्ट में आई.जी. ममता सिंह ने कहा कि केस की जांच को लेकर किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती गई। मौके पर जाकर पूरी जांच की गई थी। कई लोगों के बयान दर्ज किए गए। वहीं कोर्ट ने कहा कि अगर आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप और किडनैपिंग के आरोप साबित नहीं हुए थे तो कोर्ट में चालान देने में जल्दबाजी क्यों दिखाई गई। इस पर पुलिस ने बताया कि उन्हें 60 से 90 दिनों में चालान देना पड़ता है नहीं तो आरोपी चालान जमा न होने की स्थिति में जमानत का अधिकारी बन जाता है। हाईकोर्ट में बीते वर्ष दिसम्बर में 5 आरोपियों में से एक आरोपी के जमानत अर्जी दायर कर उसे जमानत मिलने को लेकर मामले में एमिक्स क्यूरी अनुपम गुप्ता ने एस.आई.टी. को सवालों के घेरे में रखा। 

 

इसके पीछे दलील दी गई कि एक ओर पुलिस कह रही है कि  मुख्य केस में गैंगरेप और किडनैपिंग की धारा नहीं हटाई गई और दूसरी ओर आरोपी जमानत अर्जी में कहता है कि उसके खिलाफ गैंगरेप और किडनैपिंग की धारा हटा दी गई है और उसे जमानत मिल जाती है। हरियाणा स्टेट काऊंसिल ने इसका विरोध क्यों नहीं किया। अनुपम गुप्ता ने कहा कि एस.आई.टी. को एफिडेविट फाइल करना चाहिए कि उन्होंने मामले में गैंगरेप और किडनैपिंग की धाराएं नहीं हटाई। 

 

पुलिस अफसरों की मौजूदगी शक के घेरे में 
घटनास्थल पर इंस्पैक्टर जनरल, एस.एस.पी. और डी.एस.पी. जैसे अधिकारियों के पहुंचकर इस्कोर्ट करने को अनुपम गुप्ता ने सवालों के घेरे में रखते हुए सवाल उठाए कि इन अफसरों के नम्बरों की कॉल लोकेशन निकलवाई जाए। वहीं मामले की जांच सी.बी.आई. से करवाए जाने की मांग भी रखी गई। कहा गया कि किसने इन अफसरों को सुखदेव ढाबे पर बुलाया था। वहां पहुंचना अफसरों के लिए अचानक क्यों जरूरी हो गया था। 

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