महत्वपूर्ण होगा आज का दिन, क्या जाटों को मनाने में सफल हो पाएगी BJP सरकार?

Edited By Punjab Kesari, Updated: 11 Feb, 2018 10:19 AM

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रविवार का दिन सरकार और भाजपा संगठन के साथ-साथ पूरे प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण होगा। इस दिन दिल्ली में सरकार और जाट नेताओं के बीच बातचीत होगी। देखना यह होगा कि सरकार जाटों को मनाने के लिए कौन-सा फार्मूला अपनाएगी। इसी दिन प्रदेश के डी.जी.पी. बी.एस. संधू...

चंडीगढ़(ब्यूरो): रविवार का दिन सरकार और भाजपा संगठन के साथ-साथ पूरे प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण होगा। इस दिन दिल्ली में सरकार और जाट नेताओं के बीच बातचीत होगी। देखना यह होगा कि सरकार जाटों को मनाने के लिए कौन-सा फार्मूला अपनाएगी। इसी दिन प्रदेश के डी.जी.पी. बी.एस. संधू ने प्रदेश के आला पुलिस अधिकारियों की बैठक बुलाई है। बैठक में सी.आई.डी. और लॉ एंड ऑर्डर के अधिकारी हिस्सा लेंगे। जाटों के विरोध की सूरत में पुलिस की रणनीति बैठक में तैयार की जाएगी। सरकार के साथ बातचीत सिरे नहीं चढ़ने की सूरत में इंटरनैट सेवा पर रोक लगाई जा सकती है। प्रदेश को केंद्र से शनिवार देर शाम तक अर्द्धसैनिक बलों की 60 कम्पनियां मिल गई हैं।

भाजपा सरकार के नाक का सवाल बनी रैली
यह रैली खट्टर सरकार की कार्यशैली का पैमाना साबित हो सकती है। आम लोगों की नजरें इस बात पर टिकी हुई हैं कि क्या आखिर सरकार जाटों के दबाव में आकर उनकी बात मान लेगी या फिर संगीनों के साए में रैली का आयोजन करवाएगी। जाट इस समय सरकार पर पूरा दबाव बनाए हुए हैं। वे जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुए समझौते की सभी शर्तों को स्वीकार किए बिना रैली का विरोध वापस लेने को तैयार नहीं हैं। चूंकि यह रैली पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की है इसलिए यह भाजपा संगठन और प्रदेश सरकार दोनों की नाक का सवाल बनी हुई है। 

हिंसा के आरोपियों के केस वापस लेकर आलोचना का शिकार बनी सरकार
फिलहाल हालात ऐसे नजर आ रहे हैं कि सरकार आंदोलन के दौरान हिंसा फैलाने के आरोपियों के खिलाफ दर्ज सभी केस वापस लेने का जोखिम नहीं उठाना चाहती। हाल ही में 822 लोगों के खिलाफ दर्ज 70 केस वापस लेकर सरकार गैर-जाट जातियों के बीच आलोचना का शिकार हो रही है। दबी जुबान से गैर-जाट नेता सरकार के इस कदम की आलोचना कर रहे हैं। भाजपा सांसद राजकुमार सैनी खुलकर सरकार के इस निर्णय पर विरोध जता चुके हैं। सरकार के मंत्री दावा कर रहे हैं कि जाट आरक्षण संघर्ष समिति की 95 फीसदी मांगों को पूरा किया जा चुका है। अब जाटों को रैली में बाधा नहीं डालनी चाहिए। जिन मांगों को पूरा नहीं किया गया है उनमें कुछ कानूनी अड़चनें आ रही हैं। जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने एक बार फिर दोहराया है कि जब तक सरकार सभी मांगें पूरी नहीं करेगी, जाट रैली का विरोध करने से पीछे नहीं हटेंगे। नाके लगाकर रैली में जाने वाले लोगों को रोका जाएगा। ट्रैक्टर-ट्रालियों को इसके लिए तैयार किया जा रहा है।

एक बार फिर हरियाणा में हिंसा की आशंका
इनेलो नेता अभय चौटाला एक ओर जहां रैली में शाह को काले झंडे दिखाने व काले गुब्बारे छोड़ने की घोषणा कर चुके हैं वहीं दूसरी ओर उन्होंने कहा है कि शाह के जींद आने से शांति व्यवस्था बिगड़ सकती है। 3 बार हिंसा की आग में जल चुका प्रदेश एक बार फिर हिंसा का शिकार हो सकता है। इस रैली को लेकर अभी तक खामोश रही कांग्रेस भी मैदान में आ चुकी है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने भी रैली होने की सूरत में शाह को काले झंडे दिखाने का निर्णय लिया है। 

पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रैली को लेकर साधी है चुप्पी
पूर्व सी.एम. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अभी रैली को लेकर चुप्पी साधी हुई है। भाजपा की प्रदेश इकाई रैली करवाने और उसे सफल बनाने के लिए पूरी तरह कमर कस चुकी है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला और मंत्री ओ.पी. धनखड़ जींद में रैली की रूपरेखा तैयार कर चुके हैं। दोनों ने कार्यकर्ताअों की बैठक लेकर उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश तो दिए ही, साथ ही यह भी भरोसा दिलाया कि पार्टी संगठन की रैली होने के कारण जाट इसका विरोध नहीं करेंगे। यह रैली सरकार की नहीं है। विरोध सरकार के खिलाफ जताया जाता है, संगठन के खिलाफ नहीं। जाट नेताओं को मनाने के लिए सी.एम. खट्टर ने उन्हें रविवार को दिल्ली बुलाया है। वहीं यशपाल मलिक ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि सरकार के नुमाइंदों के फोन आ रहे हैं परंतु वे अपने निर्णय पर अडिग हैं। बातचीत के लिए जाएंगे जरूर लेकिन मांगें पूरी करवाए बिना मानेंगे नहीं। प्रदेश के सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर ने साफ कर दिया कि कोई कितना ही विरोध करे, रैली हर हाल में होगी। 

शिक्षा प्रेरकों ने भी बढ़ाई परेशानी
शाह की रैली को लेकर प्रदेश सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। 2 प्रमुख राजनीतिक दलों के विरोध के साथ-साथ जाटों का विरोध सरकार को परेशान कर रहा था। अब प्रदेश के शिक्षा प्रेरकों ने भी सरकार के खिलाफ विरोध के स्वर मुखर कर दिए हैं। शिक्षा प्रेरकों ने भी घोषणा की है कि अगर सरकार ने उनकी मांगों को पूरा नहीं किया तो वे भी अमित शाह की रैली का विरोध करेंगे। वे 13 फरवरी को जींद के जिला सचिवालय के सामने धरना देंगे। इसके लिए तैयारी की जा चुकी है।

प्रदेश के हालात पर गृह विभाग की नजर
गृह मंत्रालय प्रदेश के वर्तमान हालात पर नजरें रखे हुए है। गृह विभाग के अधिकारी लगातार खुफिया विभाग से इनपुट ले रहे हैं। हालांकि खुफिया विभाग रैली को टालने के इनपुट दे चुका है लेकिन भाजपा, केंद्र और राज्य सरकार तीनों के लिए यह रैली नाक का सवाल बनी हुई है। अगर रैली टालने की नौबत आती है तो इससे पूरे देश में गलत संदेश जाएगा। 

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