अपने जमाने के नामी पहलवान रह चुके हैं लक्खी, जीती थी बड़ी कुश्तियां

Edited By Punjab Kesari, Updated: 25 Jul, 2017 03:44 PM

lakki of its time renowned wrestler has lived

सन् 1955 व 1965 में कुश्ती की दुनिया में नाम कमाने वाले गांव खानपुर निवासी लक्खी सैनी पहलवान आज अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में हैं और गुमनाम-सी जिंदगी जी रहे हैं।

कैथल (सुखविंद्र सैनी):सन् 1955 व 1965 में कुश्ती की दुनिया में नाम कमाने वाले गांव खानपुर निवासी लक्खी सैनी पहलवान आज अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में हैं और गुमनाम-सी जिंदगी जी रहे हैं। लक्खी खलीफा ने करीब 20 वर्ष कुश्ती लड़ी और 40 वर्ष आयु होने पर छोड़ दी। आज लक्खी पहलवान को खलीफा की उपाधि मिल चुकी है और उनकी आयु 80 वर्ष के करीब है। लक्खी पहलवान का नाम जुबां पर आते ही आज उनकी उम्र के लोगों की आंखों के सामने दुबले-पतले लक्खी पहलवान नजर आ जाते हैं और उस द्वारा लड़ी गई कुश्ती के चर्चे होने लगते हैं।

लोग बताते हैं कि कैथल के पहलवान लक्खी को हराने के लिए दूसरे राज्यों से पहलवानों को बुलाते थे लेकिन वह कभी नहीं हारा। हालांकि उसकी कई कुश्ती बराबर पर अवश्य रही। लक्खी पहलवान ने अपने जीवन व अखाड़े से जुड़ी कई बातें पंजाब केसरी के साथ सांझा कीं। लक्खी पहलवान बताते हैं कि उसके पिता मुंशी कबड्डी के अच्छे खिलाड़ी थी लेकिन परिवार में कोई पहलवान नहीं था। जब उसकी उम्र 16 वर्ष थी तो वह गांव खानपुर में मोमन सैनी, रामकिशन सैनी, प्रेम सैनी, भान सैनी, चंदन, लीला राम, ज्ञासा लुहार, नेकी राम जाट व अन्य के साथ स्कूल में बने अखाड़े में कुश्ती करता था और हर बार उन्हें हरा देता था। 

बहू घर पर और मैं कुश्ती लडऩे चला गया
लक्खी पहलवान ने बताया कि एक बात वह जिंदगी भर नहीं भूल सकता। उसकी शादी 15 वर्ष की उम्र में हो गई थी। 3 वर्ष बाद उसका मुकलावा हुआ था। मुकलावे के बाद वह जैसे ही बहू लेकर घर पहुंचा, उसे सीवन के पहलवान अपने साथ दंगल में ले गए। इस दौरान पिता गाली देते रहे कि बहू घर पर आई है और तू कुश्ती लडऩे जा रहा है।

पहली कुश्ती जीतने पर मिले थे 21 रुपए 
लक्खी ने बताया कि एक बार गांव में दंगल हुआ। वह भी दंगल देखने गया था। उस दंगल में खरकां के नामी पहलवान बरयाम बाजीगर ने आवाज लगाई कि वह आज लक्खी पहलवान के साथ कुश्ती करेगा। गांव के पहलवान भी उसे हारता हुआ देखना चाहते थे। मेरे उस्ताद करता राम रेहडिय़ा ने कहा कि लक्खी, अगर तू बरयाम बाजीगर के साथ कुश्ती लड़ेगा तो हार जाएगा। मैं कुश्ती लडऩे या ना लडऩे के बारे में सोच ही रहा था कि इतने में गांव के लोगों ने मेरा नाम लेते हुए तालियां बजानी शुरू कर दीं और जबरदस्ती मुझे अखाड़े में उतार दिया। अखाड़े में उतरते ही उसने 5 मिनट में ही बरयाम पहलवान को चित कर दद्वारािया। 

लक्खी पहलवान ने जीती बड़ी कुश्तियां
1.पानीपत के बीरू पहलवान को हराया।
2. कसान गांव के चंदगी पहलवान को हराया।
3. मेरठ के पहलवान सुखबीर को हराया।

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