खट्टर बदल सकते हैं अपना चुनावी क्षेत्र

Edited By Punjab Kesari, Updated: 22 Jun, 2017 09:57 AM

khattar can change its electoral constituency

वर्ष 2019 में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव होने की अटकलों के मध्य भाजपा कई विधानसभा सीटों पर नए चेहरे ला सकती है। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री

चंडीगढ़(चंद्ररशेखर धरणी):वर्ष 2019 में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव होने की अटकलों के मध्य भाजपा कई विधानसभा सीटों पर नए चेहरे ला सकती है। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी अपना विधानसभा चुनावी क्षेत्र बदल सकते हैं। पंजाबी बाहुल्य सुरक्षित क्षेत्रों की गुपचुप तरीकों से तलाश चल रही है। चर्चा है कि आर.एस.एस. व भाजपा के थिंक-टैंक अंदरूनी रूप से अध्ययन कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री किस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ें। 

सूत्रों का कहना है कि रोहतक व हांसी विधानसभा सीटों को केंद्रित कर मुख्यमंत्री के लिए जमीन तलाशी जा रही है। विधानसभा चुनावों में भाजपा के वर्तमान ऐसे विधायक जो अपनी ही सरकार व नेतृत्व के लिए चुनौती रहे हैं, के विधानसभा क्षेत्रों में भी नए चेहरे लाए जा सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम व चेहरे पर हरियाणा में भाजपा चुनाव लड़ने की पुन: तैयारी में हैं।

2014 के विधानसभा चुनावों में उत्तर व दक्षिण हरियाणा की बदौलत सत्ता में पहुंची भाजपा के लिए इन क्षेत्रों के वोट बैंक को संभालकर रखना बड़ी चुनौती है। उत्तर व दक्षिण हरियाणा के प्रमुख विधायकों को मंत्रीमंडल में जगह तो मिली लेकिन सत्ता का केंद्रीय करण पुरानी सरकारों की तर्ज पर सी.एम.ओ. तक सिमित रहने से समय-समय पर उभरे असंतोष के स्वर किसी से छिपे नहीं हैं। यह स्वर उतने तीव्र तो नहीं उठे जितने कांग्रेस शासनकाल में कांग्रेस में रहते बीरेंद्र सिंह व राव इंद्र जीत ने उठाए थे, मगर फिर भी विधायकों की सुनवाई न होने के स्वर बुलंदी से उठे। ऐसी भी चर्चाएं हैं कि उत्तर व दक्षिण हरियाणा में भाजपा अपने ग्राफ को कैसे बनाए रखे, इस पर मंथन तो चल है, मगर अभी व्यवहारिकता में बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।

भाजपा उत्तर व दक्षिण हरियाणा के अलावा जाट बाहुल्य क्षेत्रों में भी पकड़ मजबूत करने के प्रयास में है। 2 दिग्गज जाट मंत्रियों की तूती इस सरकार में किसी तरह बोलती है, का अंदाजा ‘जाट आंदोलन पार्ट 1’ के दौरान इन दोनों जाट मंत्रियों द्वारा सरकार हाई जैक करने के आरोप मंत्रीमंडल की मीटिंग में लगने की बातें जग जाहिर हैं। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला, केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की अहम भूमिका भी जाट बाहुल्य क्षेत्रों में रहेगी। जाट आरक्षण आंदोलन समाप्त करवाने व उत्तर प्रदेश चुनावों में जाट नेताओं से बीरेंद्र सिंह अपना सिक्का अमित शाह के दरबार में पूरी तरह जमा चुकें हैं। इस बात की भी चर्चा है कि उत्तर व दक्षिण हरियाणा में भाजपा के जनता में मान्यता प्राप्त चेहरों को आगामी चुनावों तक सत्ता में पूरी ताकत दी जाए ताकि लोगों के काम उनके माध्यम से हो व वह चेहरे वोट लेते वक्त इस्तेमाल किए जा सकें।

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