जाटों को मना नहीं पाए और गैर-जाटों को कर बैठे नाराज

Edited By Punjab Kesari, Updated: 16 Feb, 2018 07:36 AM

jat was unable to stop and irritated by non jats

जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की जींद रैली को यादगार बनाने के लिए एक लाख मोटरसाइकिल लाने के दावे किए जा रहे थे, उन दावों की पूरी तरह हवा निकल गई। रैली स्थल पर लगाई 32 हजार कुर्सियां भी पार्टी की प्रदेश...

अम्बाला(ब्यूरो): जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की जींद रैली को यादगार बनाने के लिए एक लाख मोटरसाइकिल लाने के दावे किए जा रहे थे, उन दावों की पूरी तरह हवा निकल गई। रैली स्थल पर लगाई 32 हजार कुर्सियां भी पार्टी की प्रदेश इकाई भर नहीं पाई।

इसका सीधा कारण हाल ही में सरकार की ओर से जाटों की सभी मांगें मानकर आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए केस वापस लेना माना जा रहा है। सरकार के इस निर्णय के बाद एक ओर जहां सरकार जाटों को पूरी तरह मना नहीं पाई, तो दूसरी ओर गैर जाटों को नाराज कर बैठी। 

इस रैली के लिए पार्टी नेताओं और कार्यकत्ताओं ने जमकर जोर लगाया था। ऐसा माना जा रहा था कि पार्टी की हर हाल में 1 लाख बाइकें रैली में लाने में सफल हो जाएगी। पार्टी के प्रयासों को देखते हुए मामला नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल से लेकर हाईकोर्ट तक भी पहुंच गया था। हालांकि दोनों ही जगह इन याचिकाओं को निरस्त कर दिया गया। अगर इन याचिकाओं पर भाजपा के खिलाफ फैसला आता और बाइकों की संख्या सीमित करने के आदेश जारी होते, तो शायद पार्टी को रैली की विफलता का ठीकरा याचिकाकत्ताओं के सिर फोडऩे का मौका मिल जाता। 

रैली में अपेक्षा के अनुरूप कार्यकर्ताओं के नहीं पहुंचने का मलाल खुद अमित शाह को भी रहा होगा। उन्होंने रैली शुरू करते ही कहा कि वे कोई लंबा-चौड़ा भाषण देने के लिए नहीं आए हैं। इतना कहने के बाद उन्होंने अपने भाषण को लंबा खींचने के बजाय कम समय में ही निपटा दिया। राजनैतिक विश्लेषकों के अनुसार हाल ही में अमित शाह की रैली का विरोध कर रहे जाट नेताओं को मनाने के लिए सरकार की ओर से जो निर्णय लिया गया, उससे सरकार को दोहरा नुकसान हो गया। रैली में रोड़ा अटकाने से रोकने के लिए जाट नेताओं की सभी मांगों को आनन-फानन में स्वीकार कर लिया, तो जाटों के दूसरे गुट ने यशपाल मलिक पर निशाना साधना शुरू कर दिया। 

मलिक पर सरकार से मिला हुआ होने के आरोप लगाकर दूसरे गुट के जाटों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू करने की घोषणा कर दी थी। दूसरी ओर जाट आंदोलन के दौरान दर्ज सभी केस वापस लेने की सरकार की घोषणा ने प्रदेश के बड़े जनसमूह को नाराज करने का काम कर दिया। हालांकि गैर जाट नेता इस मुद्दे पर खुलकर नहीं बोल पाए हैं, लेकिन नाराज जरूर दिखाई दे रहे हैं। अब देखना यह होगा कि विधानसभा चुनावों तक टीम बराला और खट्टर लोगों की नाराजगी कैसे दूर कर पाएंगे।  

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