जाट आरक्षण मामले में हाईकोर्ट बैंच पर ही उठे सवाल

Edited By Updated: 18 Jan, 2017 09:40 AM

high court a question on the bench

जाटों समेत 6 जातियों को हरियाणा सरकार द्वारा दिए गए आरक्षण को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं में से एक याचिकाकर्ता यादव कल्याण सभा, रेवाड़ी ने हाईकोर्ट की संबंधित बैंच में रिक्विजिशन की अर्जी कोर्ट में पेश की।

चंडीगढ़:जाटों समेत 6 जातियों को हरियाणा सरकार द्वारा दिए गए आरक्षण को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं में से एक याचिकाकर्ता यादव कल्याण सभा, रेवाड़ी ने हाईकोर्ट की संबंधित बैंच में रिक्विजिशन की अर्जी कोर्ट में पेश की। जिसमें बैंच से उनकी याचिका की सुनवाई न करने की मांग रखी गई है। अर्जी पर सुनवाई करते हुए डिवीजन बैंच ने याचिकाकर्ता के वकील को उचित माध्यम से यह अर्जी दायर करने के आदेश दिए हैं। इस अर्जी पर अब केस की अगली तारीख पर 24 जनवरी को सुनवाई हो सकती है। गौरतलब है कि मामला जस्टिस एस.एस. सारों और जस्टिस लीजा गिल की कोर्ट में चल रहा है। अर्जी में रि. प्रोफैसर रणबीर सिंह यादव का एफिडेविट दायर किया गया है। कहा गया है कि याचिकाकत्र्ता के प्रतिनिधियों को पता चला है कि दोनों जज जट्ट सिख समुदाय के हैं और सगोत्र विवाह करने की प्रथा बड़े स्तर पर इस समुदाय में चलती है। हरियाणा में इस समुदाय की भारी संख्या है। दोनों में से एक जज हरियाणा में जाट और जट्ट सिख समुदाय के सम्बंधी हैं।

वहीं एक जज के निजी संबंधी हरियाणा में एक राजनीतिक हस्ती हैं और इनमें से एक ने हरियाणा विधानसभा के चुनाव भी लड़ चुके हैं और हरियाणा में जाट और जट्ट सिख को रिजर्वेशन के कारणों के समर्थक हैं। ऐसे में बैंच की भावनाओं को इन समुदायों को दिए गए रिजर्वेशन के साथ जुड़े होने की शंका जताई गई है। कहा गया है कि यह कानून है कि कोई भी अपने केस में जज नहीं हो सकता। दूसरी ओर मामले की सुनवाई के दौरान कुम्हार महासभा की तरफ से केस की पैरवी कर रहे अधिवक्ता वी.के. जिंदल ने अपनी दलीलें जारी रखी। उन्होंने राज्य में किसी विशेष परिस्थितियों के अभाव के बावजूद 50 प्रतिशत से ज्यादा रिजर्वेशन दिए जाने को लेकर जजमैंट्स पेश करते हुए दलीलें रखी। यह आगे भी जारी रहेगी। 

सुनवाई पर खड़े किए सवाल 
अर्जी में कहा गया है कि केस की पिछली 3-4 सुनवाइयों में जब याचिकाकर्ता पक्ष के वकील ने अपनी बहस शुरू करते हैं तो बैंच का 6 समुदायों (रिजर्व) के प्रति ‘सॉफ्ट कार्नर’ रहता है जिनमें से 3 जाट समुदाय हैं। इनमें जाट, जट्ट सिख और मुल्ला जाट शामिल हैं। मामले में सुप्रीम कोर्ट की इंदिरा साहनी जजमैंट के आधार पर जब कुछ सवालों को लेकर एक अर्जी दायर की गई तो बैंच ने याचिकाकत्र्ताओं को ‘शरारती’ तक कह दिया। 

बिना पहचान किए ही दिया रिजर्वेशन का लाभ
वहीं पिछली 2 सुनवाइयों का हवाला देते हुए कहा गया है कि बैंच ने अपनी ऑब्जर्वेशन में कहा कि या तो इन 6 जातियों को उस कंपार्टमैंट में जाने की इजाजत दे देते हैं जिसमें याचिकाकर्ता रिजर्वेशन का लाभ ले रहे हैं वर्ना पूरी रिजर्वेशन समाप्त कर देते हैं। कहा गया है कि राज्य सरकार ने बिना पहचान किए बैकवर्ड क्लास में इन 6 जातियों को रिजर्वेशन का लाभ दे दिया। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बैंच की केस को लेकर कोई पूर्वग्रह धारणा है जिससे केस का फैसला प्रभावित हो सकता है। 

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