हरियाणा सरकार की पहल, कानूनी दस्तावेजों से हटेगा धर्म-जाति का कॉलम

Edited By Punjab Kesari, Updated: 03 Nov, 2017 10:38 AM

haryana prepares to remove caste and religion columns from form

रिकवरी मेमो, एफ.आई.आर., सीजर मेमो, इनक्वेस्ट पेपर्स व सी.आर.पी.सी. के तहत आने वाले अन्य दस्तावेजों में आरोपी की जाति व धर्म मैंशन न करने की मांग को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दायर याचिका पर वीरवार को सुनवाई हुई। मामले में पंजाब-हरियाणा की...

चंडीगढ़(बृजेन्द्र): रिकवरी मेमो, एफ.आई.आर., सीजर मेमो, इनक्वेस्ट पेपर्स व सी.आर.पी.सी. के तहत आने वाले अन्य दस्तावेजों में आरोपी की जाति व धर्म मैंशन न करने की मांग को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दायर याचिका पर वीरवार को सुनवाई हुई। मामले में पंजाब-हरियाणा की सरकारों सहित चंडीगढ़ प्रशासन को आदेश देने की मांग की गई है कि वह आगे अपने पुलिसकर्मियों को आदेश दें कि आपराधिक केस में दस्तावेजों में आरोपी के धर्म व जाति को न लिखें। 

इस मामले में हरियाणा सरकार की ओर से होम डिपार्टमैंट के स्पेशल सैक्रेटरी ने जवाब पेश किया है जिसमें कहा गया है कि सरकार का भी विचार है कि संबंधित दस्तावेजों में आरोपी का धर्म और जाति लिखने की कोई प्रासंगिकता नहीं है, वहीं सरकार संबंधित कॉलम को हटाने पर विचार कर रही है, वहीं सरकार ने कहा है कि जाति न लिखने में थोड़ी दिक्कत आ सकती है, मसलन जिन केसों में शिकायतकर्त्ता आरोपी की जाति बताता है, वहीं एस.सी./एस.टी. केसों में दिक्कत आएगी। याची एडवोकेट एच.सी. अरोड़ा ने दायर जनहित याचिका में कहा था कि पंजाब पुलिस रूल्स, 1934 के तहत संबंधित फार्म में यह कॉलम संविधान के प्रावधानों की भावना के विरोधाभासी हैं, वहीं सलाह दी थी कि आरोपी की पहचान के वैकल्पिक उपाय जैसे आधार नंबर, मकान नंबर, वार्ड नंबर, गवाह और पीड़ित को भी इस्तेमाल किया जा सकता है, वहीं मामले में पंजाब सरकार व यू.टी. प्रशासन ने जवाब के लिए समय की मांग की है। केस की अगली सुनवाई 14 दिसम्बर को होगी। 

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