हरियाणा शिक्षा बोर्ड की लापरवाही का खमियाजा भुगत रहे 2 छात्र

Edited By Punjab Kesari, Updated: 20 Jul, 2017 09:45 AM

haryana education board negligently student upset

हरियाणा शिक्षा बोर्ड की गलती के चलते भाटिया नगर के 2 बच्चों को इसका परिणाम भुगतना पड़ रहा है।

टोहाना (सुशील सिंगला):हरियाणा शिक्षा बोर्ड की गलती के चलते भाटिया नगर के 2 बच्चों को इसका परिणाम भुगतना पड़ रहा है। दोनोंं छात्रों के 12वीें कक्षा में विभाग की गलती के कारण अंक कम होने की वजह से उच्च सरकारी संस्थान में दाखिला नहीं हो पाया। अगर इन छात्रों को अपनी मेहनत पर भरोसा न होता और ये गौर न करते तो ये लापरवाही शायद सामने भी न आती। अब बच्चों ने प्रदेश सरकार से मांग करते हुए रिचैकिंग में खर्च हुई राशि तथा अच्छे कॉलेज में दाखिला दिलवाने में मदद की मांग की है। 
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भाटिया नगर निवासी जागृत ने बताया कि 12वीं का परीक्षा परिणाम 18 मई को घोषित किया गया था, जिसमें जागृत के 440 अंक दिए गए थे। उसके अंग्रेजी विषय में 52 अंक दिए थे। छात्र को भरोसा था कि उसका यह पेपर बहुत अच्छा हुआ था तथा उसके अंक तो 90 से अधिक आने चाहिए थे। उसके बाद उसने 500 की फीस लगाकर अपनी आंसर शीट निकलवाई। जब उसने देखा तो पता चला कि विभाग द्वारा आधी शीट को चैक नहीं किया था। जब उसने देखा तो 34 नंबर कम मिले थे। 
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उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा 86 नंबर बन गए। फिर उसने जोड़ लगाने की मांग की थी। उसने बताया बीटैक में दाखिले हेतू उसने जेई-ई की परीक्षा दी थी, जिसे उसने पास कर लिया था। लेकिन 12वीं में नंबर कम होने की वजह से उसका सरकारी कॉलेज में दाखिला नहीं हो पाया।
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अब उसे मजबूरन निजि कॉलेज में शिक्षा ग्रहण करनी पड़ेगी। उसने बताया कि सरकारी कॉलेज में जो समैस्टर फीस उसकी 30 हजार लगनी थी अब वह उसे 80 हजार तक देनी पड़ेगी। उसने सरकार से मदद की है कि भिवानी बोर्ड की गलती के कारण उसका दाखिला नहीं हो पाया। उसके सरकारी कॉलेज में दाखिले में उसकी मदद की जाए तथा उसका खर्च भी उसे वापिस किया जाए।  
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82 से बढ़े 95 अंक:छात्र रितिक
छात्र रितिक ने बताया कि उसकी परीक्षा में 471 अंक थे। उसके अंग्रेजी विष में 82 अंक थे जबकि पेपर शीट निकलवाने के बाद 95 अंक हो गए। इस तरह उसके 471 अंक की बजाए 484 अंक हो गए। यदि शिक्षा बोर्ड ये लापरवाही न करता तो उसका डीयू कॉलेज में दाखिला सरकारी संस्थान में हो जाता। छात्रों ने बताया कि बोर्ड की लापरवाही की वजह से उन्हें आर्थिक बोझ भी उठाना पड़ा है। छात्रों ने सरकार से मांग की है कि उनके द्वारा मूल्यांकन के लिए भरी फिस वापस दिलवाई जाए व उनका दाखिला सरकारी संस्थान में करवाया जाए। 
 

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