गुरमीत के ‘प्राइवेट सिटी’ को सरकार ने बना दिया गांव

Edited By Punjab Kesari, Updated: 12 Sep, 2017 08:35 AM

gurmeet private city was made by the government as a village

डेरे के समर्थन के चलते सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने डेरे पर दरियादिली करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

सिरसा:डेरे के समर्थन के चलते सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने डेरे पर दरियादिली करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यही वजह है कि सरकार बनने के करीब 10 माह बाद ही अगस्त 2015 में सरकार ने ‘प्राइवेट सिटी’ को गांव का दर्जा दे दिया और इसे नाम दिया शाह सतनामपुरा। खास बात यह है कि इसे गांव का दर्जा देने की आड़ में डेरे ने चेंज ऑफ लैंड यूज के नाम से बड़ा खेल खेला। इस गांव में एक हाइटैक कालोनी है। कालोनी में सैंकड़ों की संख्या में फ्लैट हैं। गु्रप हाऊसिंग सोसायटी की तर्ज पर बनी इस कालोनी को बनाते वक्त कोई सी.एल.यू. नहीं ली गई थी। इससे इतर कालेज, हॉस्टल, क्रिकेट मैदान, 2 गोदाम, 1 कारखाना, बाबा के शाही परिवार के मकानों को भी इस गांव का हिस्सा दिखाकर सी.एल.यू. से बचने के लिए बड़ा गेम खेला गया। सरकार ने भी डेरे के इस गेम में पूरा साथ दिया।

दरअसल बरस 1993 में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने डेरा सच्चा सौदा मुख्यालय गांव नेजिया के पास शिफ्ट कर दिया। उसी समय से यहां कई भव्य इमारतें बनने लगीं। 50 एकड़ में धार्मिक स्थल, 4 एकड़ 4 कनाल में बाबा का फार्महाऊस, शाही परिवार के सदस्यों के महल, स्कूल, कालेज, रिसोर्ट, अस्पताल, सिनेमा, पार्क, रैस्टोरैंट से लेकर कई तरह के कारखाने लगाए गए। यह किसी स्मार्ट सिटी से कम नहीं। डेरे में करीब 1 हजार से अधिक इमारतें डेरे शिफ्ट होने के 1993 से लेकर 2014 से पहले ही बन चुकी थीं। किसी भी इमारत को बनाने से पहले सी.एल.यू. की दरकार रहती है। 
खासकर कारखानों, गोदामों व सिनेमा जैसे कार्यों के लिए तो काफी पेचिदा कानूनी प्रक्रिया है। डेरा ने यह प्रक्रियाएं नहीं अपनाई। 

2014 में जब हिसार में बाबा रामपाल प्रकरण हुआ। उस प्रकरण के बाद ही डेरा को सी.एल.यू. के मामले में डर सताने लगा। सी.एल.यू. लिए बिना भवन निर्माण नहीं किया जा सकता। पर डेरा तो अनेक इमारतें बना चुका था। ऐसा करने पर भवन गिराने तक कानूनी प्रावधान है। पर डेरा की इमारतों पर जे.सी.बी. कैसे चलती? जब सरकार की उस पर मेहरबानी थी। इसके अलावा जुर्माने का भी प्रावधान है। डेरा ने तो करीब 200 एकड़ में निर्माण कर लिया था। ऐसे में इन सबसे बचने के लिए डेरा के अधिकांश हिस्से को गांव बनाने का प्लान बनाया। 

डेरे के एक रिक्वैस्ट एप्लीकेशन पर मौजूदा भाजपा सरकार ने एक स्मार्ट सिटी को गांव का हिस्सा दे दिया। गांव बना दिया और इसे सी.एल.यू. के दायरे से फ्री जोन में डाल दिया। यानी अब सी.एल.यू. की दरकार नहीं। रोचक बात देखिए कि नगर योजनाकार विभाग की ओर से दिसम्बर 2015 में डेरा में करीब 70 एकड़ में बनी 11 इमारतों को भी सी.एल.यू. से मुक्त कर दिया और इन्हें भी शाह सतनाम पुरा गांव का हिस्सा होने का हवाला दे दिया। यह सारी इमारतें 2014 से पहले की बनी हुई थीं और इसके लिए डेरा की ओर से मार्च 2014 से लेकर जुलाई 2015 तक सी.एल.यू. के लिए नगर योजनाकार विभाग में आवेदन किया गया। जिला नगर योजनाकार विभाग के जे.ई. किताब सिंह ने बताया कि उपायुक्त कार्यालय से 27 नवम्बर 2015 को जारी हुए पत्र के निर्देश पर करीब 11 इमारतों की सी.एल.यू. से संबंधित आवेदन फाइलों के बारे में इन्हें फ्री जोन में रखने संबंधी पत्र जारी किया गया था। ये सभी फाइलें पैंङ्क्षडग थीं और इस बीच ही सरकार ने डेरा की मनपसंद मांग पर मोहर लगाते हुए शाह सतनामपुरा को गांव बना दिया। रोचक पहलू यह भी है कि जिस वक्त इस गांव में जनवरी 2016 में पहली बार चुनाव हुए उस समय करीब 1100 मतदाता थे। यानी गांव की आबादी 2 हजार से भी कम। 
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!