रेखा शर्मा ने पोते को देख लिया संकल्प, सबको बनाएगी आत्मनिर्भर

Edited By Punjab Kesari, Updated: 18 Mar, 2018 11:25 AM

goddess swaroop for 220 children is rekha sharma

कहते हैं यदि जज्बा बुलंद हो तो कोई काम मुश्किल नहीं होता। यह सच कर दिखाया है चेतना वैल्फेयर सोसायटी की प्रधान रेखा शर्मा ने। रेखा स्लम एरिया के दिव्यांग व मंदबुद्धि बच्चों के लिए किसी देवी से कम नहीं हैं। वे एक निजी स्कूल से शिक्षिका के पद से...

फरीदाबाद(ब्यूरो): कहते हैं यदि जज्बा बुलंद हो तो कोई काम मुश्किल नहीं होता। यह सच कर दिखाया है चेतना वैल्फेयर सोसायटी की प्रधान रेखा शर्मा ने। रेखा स्लम एरिया के दिव्यांग व मंदबुद्धि बच्चों के लिए किसी देवी से कम नहीं हैं। वे एक निजी स्कूल से शिक्षिका के पद से सेवानिवृत्त हैं। वर्ष 2000 में उनके यहां पोते ने जन्म लिया, जो जन्म से ही दिव्यांग था। पोते की दशा ने रेखा शर्मा की जिंदगी को नया मोड़ दिया। यही वह समय था जब उन्होंने ठान लिया कि वे न केवल अपने पोते को आत्मनिर्भर बनाएंगी बल्कि उसके जैसे अन्य बच्चों का भी जीवन संवारेंगी। इसके बाद वर्ष 2005 में वे स्कूल से रिटायर हुईं और बाकी का जीवन ऐसे बच्चों को समर्पित कर दिया। 

शुरू में निराशा भी मिली लेकिन इस काम में उनका हौसला बढ़ाया पति आर.डी. शर्मा ने। पत्नी के आह्वान पर वे भी इस पुनीत कार्य में जुट गए। रेखा शर्मा ऐसे बच्चों को न केवल हुनरमंद बना रही हैं, बल्कि उन्हें मुख्य धारा से जोडऩे का काम भी बखूबी कर रही हैं। घर में यदि एक बच्चा भी मंदबुद्धि या दिव्यांग हो तो मां-बाप तक परेशान हो जाते हैं परंतु रेखा शर्मा ऐसे 220 बच्चों को संभालने का काम कर रही हैं। परिवारों से मिलने वाली उपेक्षा से आहत ये बच्चे रेखा शर्मा की ममता की छांव में खुद को अकेला महसूस नहीं करते। 
 

वे इन बच्चों को रहने, खाने व जिंदगी जीने के तौर-तरीके सिखाकर न केवल आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही हैं, बल्कि उन्हें उनकी रुचि व क्षमता के अनुसार प्रशिक्षिण दिलवाकर उन्हें आर्थि  रूप से भी सक्षम बनाने में जुटी हैं। ऐसे बच्चों के रेखा शर्मा भगवान का दिया उपहार मानती हैं। बच्चों की फिटनेस को देखते हुए उन्हें फिजियोथैरेपी करवाई जाती है। इसके अलावा उनका मनोबल बढ़ाने के लिए काऊंसिलिंग का भी इंतजाम है। 

इसका नतीजा यह है कि आज अनेक दिव्यांग बच्चे आॢथक रूप से आत्मनिर्भर भी बन पाए हैं। रेखा शर्मा ने बताया कि उन्हें इस काम के लिए किसी प्रकार की कोई सरकारी मदद नहीं मिलती। बच्चों की पढ़ाई पर आने वाला खर्च वह अपनी पेंशन से करती हैं। इसके अलावा समाजसेवियों के सहयोग से वे बच्चों का पालन-पोषण कर रही हैं। इन बच्चों को पेंसिल से लेकर यूनिफार्म तक सभी कुछ नि:शुल्क दिया जाता है।

इन अवार्डों से नवाजी गईं रेखा
रेखा शर्मा को अब तक मदर टेरेसा अवार्ड, अवंतिका अवार्ड, महिला गौरव अवार्ड सहित एम.ए.एफ., बेटी बचाओ, पंजाबी सभा, रोटरी क्लब मिड टाऊन व डी.सी. की ओर से 3 बार सम्मानित किया जा चुका है।

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