अनशन पर बैठे बुजुर्ग जाट की हालत बिगड़ी, प्राथमिक उपचार लेने से इंकार

Edited By Updated: 22 Feb, 2017 06:19 PM

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रोहतक जाट जाग्रती सेना के आहवान पर रोहतक के सैक्टर छः में अनशन पर बैठे एक बुर्जुग कि हालत खराब हो गई। अनशनकारी बुजुर्ग रामसिंह ने तीन दिनों से जल को भी त्याग...

रोहतक (दीपक भारद्वाज):रोहतक जाट जाग्रती सेना के आहवान पर रोहतक के सैक्टर छः में अनशन पर बैठे एक बुर्जुग कि हालत खराब हो गई। अनशनकारी बुजुर्ग रामसिंह ने तीन दिनों से जल को भी त्याग दिया जिसके कारण उसकि हालत खराब हो गई।अनशनकारी रामसिंह ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले साल फरवरी में जाट आरक्षण आंदोलन में आगजनी और हिंसा के बाद सरकार द्वारा जो मुवावजा बांटा उसमें धांधली हुइ है। अनशनकारी कि नाजूक हालत को देखकर प्रसाशन के उच्च अधिकारी पहुचे। लेकिन रामसिंह ने मैडिकल सेवाए लेने से मना कर दिया। जाट जाग्रती सेना अपनी मांगों को लेकर 27 जनवरी से धरने पर बैठे है। 

रोहतक के सेक्टर-6 स्थित मैदान में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे जाट जागृति सेना के सदस्यों का धरना बुधवार को भी जारी रहा। भूख हड़ताल पर बैठे चार सदस्यों में से एक बुजुर्ग साठ वर्षीय रामसिंह गावडिय़ा की हालत काफी खराब हो गई है, लेकिन बुजुर्ग ने अनशन समाप्त करने से मना किया और प्राथमिक उपचार लेने से मना कर दिया। बुजुर्ग का कहना है कि जब तक सरकार मांगों को पूरा नहीं करती है, तब तक अनशन जारी रहेगा। अनशन पर बैठे बुजुर्ग की तबीयत बिगडऩे की सूचना पाकर एडीसी व वीडीओ अनशन स्थल पहुंचे और रामसिंह को पीजीआई में भर्ती कराने की सलाह दी, लेकिन रामसिंह ने स्वस्थ्य सेवाएं लेने से साफ मना कर दिया। दरसअल रामसिंह ने पिछले तीन दिनों से जल व अन्न का त्याग किया हुआ है। रामसिंह का कहना है कि गत फरवरी माह में आरक्षण हिंसा के दौरान उसे काफी नुकसान हुआ था। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रमेश भाटिया ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर पंजाबी समुदाय को नुकसान से ज्यादा मुआवजा दिलवा दिया, जबकि जिसका सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, उसे अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। साथ ही सरकार ने जाती पाती को बढ़ावा दिया है और साठ सतर करोड़ का झूठा पैसा फर्जी आदमियों को मुआवजे के नाम पर बांटा गया है, जबकि असल में पीड़ितों को कोई मुआवजा नहीं मिला है।

जाट जागृति सेना के प्रदेशाध्यक्ष राहुल दादू का कहना है कि सरकार व प्रशासन जाट आंदोलन को भड़काने का प्रयास कर रहे है। उन्होंने बताया कि उनकी मुख्य मांगों में आंदोलन हिंसा के दौरान दर्ज मुकदमे खारिज कर जेलों में बंद युवा रिहा करे, आगजनी का शिकार हुए पीडि़तों को मुआवजा मिलना प्रमुख है। साथ ही उन्होंने कहा कि 19 फरवरी को बलिदान दिवस के अवसर पर जागृति सेना ने पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी में दिल्ली बाईपास चौक पर जाट शहीद चौक का बोर्ड लगाया था, लेकिन शाम को वह बोर्ड वहां से हटा दिया गया, जिससे साफ है कि सरकार व प्रशासन की मंशा ठीक नहीं है और वह हिंसा कराना चाहती है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 24 फरवरी तक दिल्ली बाईपास पर दोबारा से जाट शहीद चौक का बोर्ड उसी स्थान पर नहीं लगाया गया तो वह रोड जाम कर देंगे।

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