Edited By Punjab Kesari, Updated: 15 Nov, 2017 06:07 PM
भिवानी में अपनी बहाली की मांग को लेकर शिक्षा प्रेरक 40 दिल से स्थानीय लघु सचिवालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। जिस दौरान सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की गई। प्रदर्शनकारियों के अध्यक्ष जिला दादरी प्रधान मोहन लाल हैं। गौरतलब होगा कि अगस्त 2012...
भिवानी(अाशोक भारद्वाज):भिवानी में अपनी बहाली की मांग को लेकर शिक्षा प्रेरक 40 दिल से स्थानीय लघु सचिवालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। जिस दौरान सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की गई। प्रदर्शनकारियों के अध्यक्ष जिला दादरी प्रधान मोहन लाल हैं। गौरतलब होगा कि अगस्त 2012 में राज्य साक्षरता प्राधिकरण मिशन अथोरिटी हरियाणा द्वारा राज्य के 10 जिलों में जहां महिला साक्षरता दर 50 प्रतिशत से कम थी। वहां प्रत्येक गांव में एक महिला एवं एक पुरूष की नियुक्ति शिक्षित प्रेरक के पद पर की गई।
इन प्रेरकों का मानदेय 2000 रूपए प्रति तथा इनके द्वारा संचालित लोक शिक्षा केंद्रों का खर्च प्रतिमाह 2250 रूपए निर्धारित किया गया है। राज्य में लगभग 5100 शिक्षा प्रेरकों की नियुक्ति एवं 2100 के आस-पास लोक शिक्षा केंद्रों की स्थापना की गई। इन शिक्षा प्रेरकों के मेहनत के बलबूते हरियाणा में महिला साक्षरता दर 60 प्रतिशत से भी उपर पहुंच गई। इसके साथ-साथ इन शिक्षा प्रेरकों से स्वच्छ भारत मिशन का कार्य करवाया गया और परिणाम स्वरूप स्वच्छता के मामले में भिवानी को देश में न.-1 का खिताब हासिल हुआ।
प्रेरक संघ के राज्य प्रधान भगवत कौशिक ने कहा कि पिछले 40 दिनों से हरियाणा सरकार लगातार उनकी मांगों की अन्देखी कर रही है। बीते 16 अक्तूबर को राज्य सरकार द्वारा शिक्षा प्रेरकों का बकाया 8 माह का मानदेय ब्लॉक स्तर पर भेजा जा चुका है, लेकिन ब्लॉक एवं जिला स्तर के अधिकारी लगभग एक माह बीत जाने के बाद भी प्रेरकों का मानदेय जारी नहीं कर रहे। उनहोंने कहा कि अगर सरकार ने हमारी मांगों को नहीं माना तो सरकार की कार गुजारियों का काला चिट्ठा जनता के सामने खोलेंगे और गांव-गांव जाकर सरकार का पुतला फुकेंगे।
प्रेरक संघ का प्रधान मंजूबाला का कहना है कि सरकार ने बजट कम होने का वास्ता देकर साक्षर भारत मिशन को बंद कर दिया।इसके बाद नव साक्षर अपनी आगे की पढ़ाई को कैसे पूरा कर पाएंगे। अकेले भिवानी जिले में लगभग 840 शिक्षा प्रेरकों की मेहनत एवं लग्न के कारण भिवानी जिले ने साक्षरता, स्वच्छता, प्रधानमंत्री जनधन योजना, प्रधानमंत्री बीमा सुरक्षा योजना, एवं अन्य ग्रामीण विकास परियोजनाओं में अग्रणी स्थान हासिल किया, इसके बावजूद इन शिक्षा प्रेरकों की सेवाएं समाप्त कर दी गई।