डॉक्टरों की हड़ताल ने ली बच्ची की जान, दस घंटे तक इलाज नहीं मिलने से तोड़ा दम

Edited By Punjab Kesari, Updated: 03 Jan, 2018 01:14 PM

doctor  s strike killed lee  s daughter  did not break till ten hours of treatment

नेशनल मेडिकल काउंसिल एक्ट के विरोध में निजी डाॅक्टरों की हड़ताल और बदहाल सरकारी मेडिकल काॅलेज के हालातों ने एक नवजात बच्ची की जान ले ली। जन्म से मौत तक के करीब 10 घंटे के सफर में बच्ची को चार अस्पताल देखने पड़े। पानीपत के दो निजी अस्पतालों ने इलाज...

करनाल(ब्यूरो):नेशनल मेडिकल काउंसिल एक्ट के विरोध में निजी डाॅक्टरों की हड़ताल और बदहाल सरकारी मेडिकल काॅलेज के हालातों ने एक नवजात बच्ची की जान ले ली। जन्म से मौत तक के करीब 10 घंटे के सफर में बच्ची को चार अस्पताल देखने पड़े। पानीपत के दो निजी अस्पतालों ने इलाज के नाम पर केवल बच्ची को रेफर किया। समय पर इलाज नहीं मिलने से शाम चार बजे बच्ची की मौत हो गई।

जानकारी के अनुसार पानीपत के गांव बबैल निवासी बाइक मैकेनिक विजय कुमार ने अपनी पत्नी गुड्डी को प्रसव पीड़ा होने पर करनाल अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां पर महिला ने सुबह करीब साढ़े 6 बजे एक बच्ची को जन्म दिया। सांस लेने में तकलीफ होने के कारण बच्ची को इस अस्पताल से पानीपत के ही डॅा. हवा सिंह अस्पताल रेफर कर दिया गया। यहां पर बच्ची को करीब तीन घंटे तक उपचार दिया गया। तकलीफ ज्यादा होने होने पर बच्ची को यहां से भी रेफर कर दिया गया। 

डॉक्टरों ने बच्ची को पानीपत के ही एक निजी अस्पताल में ले जाने की सलाह दी, लेकिन परिजन बच्ची को लेकर दोपहर साढ़े बारह बजे कल्पना चावला राजकीय मेडिकल  कालेज अा गए। जहां वेंटिलेटर ना होने की बात कहकर बच्ची को चंडीगढ़ पीजीअाई रेफर कर दिया। बच्ची के पिता ने अानन-फानन में एंबुलेंस करवाई और चंडीगढ़ के लिए निकल पड़े। शाम 4 बजे तक बच्ची को पीजीअाई में भर्ती किया गया, लेकिन बच्ची तब तक जिंदगी की जंग हार चुकी थी। डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

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