Edited By Updated: 18 Apr, 2017 09:30 AM
मानेसर समेत तीन गांवों के 912 एकड़ जमीन के अधिग्रहण मामले में हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 188 पन्नों की सीलबंद लिफाफे में ढींगरा आयोग की रिपोर्ट दाखिल कर दी है।
गुड़गांव:मानेसर समेत तीन गांवों के 912 एकड़ जमीन के अधिग्रहण मामले में हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 188 पन्नों की सीलबंद लिफाफे में ढींगरा आयोग की रिपोर्ट दाखिल कर दी है। जिस पर कोर्ट ने अपना आदेश अभी सुरक्षित रखा है। कोर्ट ने उक्त जमीन पर निर्माण कार्य पर रोक लगाई हुई है।
कोर्ट ने CBI की मांगी प्रोग्रेस रिपोर्ट
153 किसानों की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे एडवोकेट रनबीर सिंह यादव ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है। कोर्ट ने सरकार को ढींगरा आयोग की रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे ताकि वहां हुए जमीन सौदों के रेट आदि को देखा जा सके। इस मामले की सी.बी.आई. जांच भी चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने सी.बी.आई. की प्रोग्रेस रिपोर्ट भी मंगवाई है। साथ ही सी.बी.आई. को निर्देश दिए हैं कि वह 4 महीने की जांच पूरी करें।
इनेलो सरकार ने 912 एकड़ जमीन अधिग्रहण का किया था नोटिफिकेशन जारी
यादव के अनुसार 2004 में तत्कालीन इनेलो सरकार ने आई.एम.टी. के लिए मानेसर, नौरंगपुर और नखरौला में 912 एकड़ जमीन अधिग्रहण के लिए सैक्शन-4 का नोटिफिकेशन जारी किया था। जमीन के रेट प्रति एकड़ 25 लाख रुपए तय हुए थे। इस बीच विधानसभा चुनाव हुए और हुड्डा की सरकार बनी। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया के साथ कई कंपनियां सक्रिय हुई और किसानों को जमीन अधिग्रहण का डर दिखाकर 30 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन खरीदनी शुरू कर दी। जमीन एक करोड़ रुपए से ऊपर रेट पर भी बिकी, जबकि जमीन के रेट इससे कई गुना ज्यादा थे। 2005 में सेक्शन-6 के तहत 688 एकड़ जमीन की प्रक्रिया शुरू हुई।
यादव ने बताया कि सरकार ने 24 अगस्त, 2007 में अवार्ड की बजाय जमीन कम बताकर प्रोजेक्ट को लेकर एक कमेटी बनाई, जिसने 2010 में यहां जमीन कम बताकर अवार्ड रद्द कर दिया। इस बीच किसानों ने धोखे की बात कहते हुए धरने प्रदर्शन किए, जाम भी लगाए। किसान मामले को लेकर 2011 में हाईकोर्ट में गए लेकिन वहां उनकी अपील खारिज हो गई। 2015 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए मामले की सी.बी.आई. जांच कराने के साथ कंपनियों की हो चुकी रजिस्ट्रियां रद करते हुए जमीन वापस दिलाने की अपील की।