आज के दिन ऐसी सुलगी चिंगारी कि 21 साल बाद भी झुलसा रहे हैं जख्म

Edited By Punjab Kesari, Updated: 23 Dec, 2017 01:21 PM

dabwali agni kand

डबवाली अग्निकांड इतिहास के ऐसे पन्नों पर लिखा गया है जिसकी याद भर से ही रुह कांप उठती है। आज से ठीक 21 वर्ष पहले ऐसी ही चिंगारी से आग की लपटें उठी जिसके झुलसाए जख्म अब तलक तकलीफदेय है। आज डबवाली अग्निकांड की 22वीं बरसी है। यह सब 23 दिसम्बर, 1995 को...

डबवाली(संदीप गाट): डबवाली अग्निकांड इतिहास के ऐसे पन्नों पर लिखा गया है जिसकी याद भर से ही रुह कांप उठती है। आज से ठीक 21 वर्ष पहले ऐसी ही चिंगारी से आग की लपटें उठी जिसके झुलसाए जख्म अब तलक तकलीफदेय है। आज डबवाली अग्निकांड की 22वीं बरसी है। यह सब 23 दिसम्बर, 1995 को चौटाला मार्ग पर स्थित स्थानीय पैलेस में डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल का वार्षिकोत्सव के दौरान हुआ। शार्ट-सर्किट की वजह से एक चिंगारी उठी और चंद सैकेंडों में इस चिंगारी ने पूरे पंडाल को अपनी गिरफ्त में ले लिया। देखते ही देखते पंडला धू-धूकर जलने लगा। पंडाल के भीतर भारी संख्या में मौजूद लोग आग की लपटों से घिर गए। उस हृदय विदारक और देश के सबसे भयानक अग्निकांड ने 442 लोगों की जानों को लील लिया था। करीब 150 लोग बुरी तरह से झुलस गए थे। अग्निकांड में जानें गंवाने वाले 442 लोगों के शवों का जब अंतिम संस्कार किया गया तो पूरे शहर में चारों ओर सन्नाटा पसर गया। शहर का हर व्यक्ति गहरे गम और सदमे में डूब गया। इस भयंकर अग्निकांड ने ऐसे गहरे जख्म दिए जो 21 बरस बीत जाने के  बाद भी हरे के हरे ही हैं।  

ऐसे हुआ था हादसा
दरअसल, 21 बरस पहले डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल राजीव पैलेस में अपना वार्षिकोत्सव मना रहा था। पैलेस में सिंथैटिक कपड़े का एक पंडाल बना हुआ था। इस पंडाल में उत्सव को देखने के लिए करीब 1500 की संख्या में बच्चे, महिलाएं, पुरुष व बुजुर्ग लोग शामिल थे। बताया जाता है कि उत्सव के दौरान ठीक 1 बजकर 47 मिनट पर मेन गेट के पास शार्ट-सर्किट हुआ था। जिसकी चिंगारी सिंथैटिक कपड़े से बने पंडाल पर जा गिरी। चंद सैकेंडों में ही इस चिंगारी ने एक विकराल रूप धारण कर लिया और पंडाल को जद में ले लिया। पंडाल में बैठे लोगों में जबरदस्त भगदड़ मच गई। आग लगा हुआ सिंथैटिक कपड़ा पंडाल में मौजूद लोगों पर आकर गिरता रहा। मात्र 6 मिनट में इस अग्निकांड ने 442 लोगों की जान ले ली। मरने वालों में 250 मासूम बच्चे और 125 महिलाएं शामिल थीं। वहीं करीब 150 लोग बुरी तरह से झुलस गए। 

पंडाल में चारों तरफ लाशों के ढेर लग गए थे। अग्निकांड के समय मौके पर मौजूद लोग बताते हैं कि मरने वालों की संख्या इसलिए भी अधिक बढ़ी क्योंकि मुख्य द्वार को कार्यक्रम शुरू होने के बाद बंद कर दिया गया था जबकि स्टेज के पास एक छोटा गेट रखा गया था। इसी गेट से कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि के तौर पर आए तत्कालीन उपायुक्त एम.पी. बिदलान को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए सुरक्षाकर्मी गेट को रोककर खड़े हो गए थे। इस दौरान लोगों को बहार निकलने की और कोई जगह नहीं मिल पाई। लोग पंडाल में भीतर ही चीखने-पुकारने की आवाजें लगाते रहे। अधिकतर लोगों की मौत आग के धुएं से दम घुटने की वजह से भी हुई। हादसे के दौरान शहर में चारों तरफ चीख-पुकार की आवाजें आने लगे। अग्निकांड में मारे गए लोगों के शवों को जब अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट ले जाया गया तो श्मशान घाट भी छोटा पड़ गया था। इतनी चिताओं को एक साथ जलता देख पूरे शहर ने मानों कि जैसे गम की चादर ओढ़ ली हो। अग्निकांड ने डबवाली पर अपना ऐसा कहर बरपाया कि उस समय 40 हजार की आबादी वाले इस छोटे से कस्बे में 442 मौतों ने एक झटके में एक फीसदी आबादी कम कर दी थी। 

मौन श्रद्धांजलि सभा आज
अग्निकांड फायर विक्टिम एसोसिएशन के सैके्रटरी व मौजूदा नगर पार्षद विनोद बंसल ने बताया कि अग्निकांड में जान गंवाने वालों की याद में श्रीगुरु ग्रंथ साहिब व रामायण का पाठ किया गया। 23 दिसम्बर की सुबह हवन यज्ञ और दोपहर 1 बजकर 47 मिनट पर मौन श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा। इसके सर्व धर्म प्रार्थना सभा भी होगी। 

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