नेशनल क्राइम ब्यूरो के डाटा से हुआ खुलासा, चंडीगढ़ में बढ़ रहे नशेड़ी

Edited By Punjab Kesari, Updated: 12 Nov, 2017 04:00 PM

chandigarh national crime bureau drug smuggling

चंडीगढ़ में नशे की तस्करी के मामलों में इजाफा हुआ है। इसका कुलासा नेशनल क्राइम ब्यूरो के डाटा से हुआ है। गत वर्ष 12 महीनों में एन.डी.पी.एस. के मामलों में जहां 144 एफ.आई.आर. दर्ज कर 155 को गिरफ्तार किया गया था। वहीं इस वर्ष आठ महीनों में ही...

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): चंडीगढ़ में नशे की तस्करी के मामलों में इजाफा हुआ है। इसका कुलासा नेशनल क्राइम ब्यूरो के डाटा से हुआ है। गत वर्ष 12 महीनों में एन.डी.पी.एस. के मामलों में जहां 144 एफ.आई.आर. दर्ज कर 155 को गिरफ्तार किया गया था। वहीं इस वर्ष आठ महीनों में ही एन.डी.पी.एस. के मामले डेढ़ हो चुके हैं और अब तक 168 की गिरफ्तारी हुई है। गिरफ्तारियों और दर्ज मामलों की जानकारी चंडीगढ़ के गृह सचिव ने हाईकोर्ट को दी है। इस जानकारी पर हाईकोर्ट ने कहा कि, यह आंकड़े ही बता रहे हैं कि शहर में ड्रग तस्करी के मामलों में इजाफा हुआ है। इस जानकारी पर पर हाईकोर्ट को सहयोग दे रहे डॉ आदित्य अविनाश कौशिक ने बताया कि नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों में भी यही खुलासा हो रहा है कि शहर में प्रति व्यक्ति दर्ज होने वाले एन.डी.पी.एस. केसों में बढ़ोतरी हो रही है। इसके कई कारण हो सकते हैं । 

शहर के पार्कों पर नशेड़ियों का कब्जा
सुनवाई के दौरान असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ऑफ़ इंडिया चेतन मित्तल ने कहा कि शहर में खेल के मैदान ही नहीं बचे हैं अौर जो थे वहां पार्क बना दिए गए हैं। जहां कोई बच्चे और युवा खेल नहीं सकते बल्कि इन पार्कों में सिर्फ सैर ही की जा सकती हैं। इस पर हाईकोर्ट ने भी सहमति देते हुए कहा कि अगर खेल के मैदान ही नहीं होंगे तो बच्चे और युवा खेलने कहा जाएंगे। इन खेल के मैदानों की कमी के चलते भी युवा नशे के दलदल में फंसते जा रहे हैं। हाई कोर्ट को बताया गया कि इन पार्कों में कई जगहों पर नशेड़ी मिल जाएंगे, जबकि खेल के मैदानों में ऐसे लोग नहीं मिलते।

सरकारी स्कूलों के खेल मैदान किए जा सकते हैं इस्तेमाल 
हाईकोर्ट को बताया गया कि इन खेल के मैदानों की कमी के चलते ही कुछ निजी स्कूल और संस्थाएं खेल के लिए बड़े ही महंगी कीमतें वसूल रही हैं। जबकि शहर के सरकारी स्कूलों के बड़े-बड़े खेल के मैदान किसी काम में नहीं लाए जा रहे हैं।  इन सरकारी स्कूलों के खेल के मैदानों में बच्चों और युवाओं को खेलने की अनुमति दी जानी चाहिए। इससे बच्चों और युवाओं में खेल के प्रति रुझान बढ़ेगा।  फिलहाल तो बच्चे और युवा खेल के मैदानों की कमी के चलते सिर्फ जिम ही जा सकते हैं। 

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