मृतकों को दी जा रही पैंशन, कार्रवाई पर पुलिस चुप, HC ने सरकार को भेजा नोटिस

Edited By Punjab Kesari, Updated: 03 Dec, 2017 12:10 PM

case of grant of pension to the dead high court notice

जीवित व्यक्तियों को भले ही पैंशन न मिले लेकिन सरकार कुछ मृतकों को ये सेवा दे रही है। हरियाणा के विभिन्न जिलों में मृत व्यक्तियों को करोड़ों रुपए पैंशन के रूप में देने के मामले में सी.बी.आई. जांच की मांग वाली याचिका में नया मोड़ आ गया। मामले को लेकर...

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): जीवित व्यक्तियों को भले ही पैंशन न मिले लेकिन सरकार कुछ मृतकों को ये सेवा दे रही है। हरियाणा के विभिन्न जिलों में मृत व्यक्तियों को करोड़ों रुपए पैंशन के रूप में देने के मामले में सी.बी.आई. जांच की मांग वाली याचिका में नया मोड़ आ गया। मामले को लेकर पंजाब एडं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, जहां कोर्ट ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए हरियाणा सरकार को 4 दिसम्बर तक जवाब दायर करने की हिदायत दी है। आर.टी.आई. कार्यकर्ता राकेश बैंस व सुखविंद्र सिंह के वकील प्रदीप रापड़िया ने हाईकोर्ट में केस की सुनवाई के दौरान अंतरिम राहत के लिए अर्जी दायर की है। इसमें कोर्ट को बताया कि सिर्फ शाहाबाद (कुरुक्षेत्र) में मनगढ़ंत एफ.आई.आर. दर्ज कर 13,43,725 रुपए सरकारी खजाने में जमा करवाए गए।

वहीं, घोटाले को दबाने के इरादे से पुलिस ने सिर्फ एक रिटायर्ड सेवादार व क्लर्क के खिलाफ निचली अदालत में बोगस व जाली चालान पेश किया। रापड़िया ने कोर्ट को बताया कि मामले में कैग रिपोर्ट के अलावा 3 विभागीय जांच हुई और इनमें शाहाबाद के पार्षदों और जिला समाज कल्याण अधिकारी सहित अन्य को दोषी पाया गया। जिन पार्षदों ने ऐसे पैंशन धारकों की पहचान की जो पहले ही स्वर्ग सिधार चुके हैं, उनकी सूची खुद समाज कल्याण विभाग ने पुलिस को भेजी थी लेकिन सभी दोषी पार्षदों व जिला समाज कल्याण अधिकारी को चालान में सरकारी गवाहों की सूची में रखा गया है, जबकि जिसकी शिकायत पर 2 जांचें हुईं उसे सरकारी गवाहों की सूची से बाहर कर दिया गया है। 

याचिकाकर्ता ने रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से पुलिस अधीक्षक व थानेदार को पत्र लिखकर मामले पर हर संभव सहायता देने की पेशकश की लेकिन पुलिस ने न तो उससे पूछताछ की न सरकारी गवाह बनाया। ऐसे में याचिकाकर्त्ता ने सी.बी.आई. जांच की मांग दोहराते हुए निचली अदालत की आगे की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की है। वहीं ,उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है जिन्होंने पार्षदों व बड़े अधिकारियों को बचाने की नियत से बोगस चालान पेश किया है। कोर्ट ने मामले में हरियाणा सरकार को 4 दिसम्बर तक कोर्ट में जवाब दायर करने की हिदायत दी है।

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