बजट पूर्णतया निराशाजनक व वित्तीय कुप्रबन्धन का प्रतीक: भूपेन्द्र सिंह हुड्डा

Edited By Punjab Kesari, Updated: 10 Mar, 2018 09:28 PM

budget symbolizes complete disappointment and financial mismanagement ex cm

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश के बजट पर कड़ी और विस्तृत प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि भाजपा सरकार ने प्रदेश को आर्थिक दिवालिएपन की दलदल में धकेल दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के गठन के बाद 1966 से 2014 तक के...

चण्डीगढ़ (धरणी): हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश के बजट पर कड़ी और विस्तृत प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि भाजपा सरकार ने प्रदेश को आर्थिक दिवालिएपन की दलदल में धकेल दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के गठन के बाद 1966 से 2014 तक के 48 वर्षों में हरियाणा पर कुल कर्जा करीब 70 हजार करोड़ था, जबकि भाजपा के पिछले साढ़े 3 वर्षों के कुशासन के कारण यह कर्जा बढ़कर 1 लाख 61 हजार करोड़ के पार हो चुका है।

उन्होंने कहा कि हैरानी की बात ये है कि तीन वर्ष पूर्व जब भाजपा ने सत्ता संभाली तो 70 हजार करोड़ के कर्ज पर श्वेतपत्र जारी किया था। अब 1 लाख 61 हजार करोड़ के भारी-भरकम कर्ज पर वह कौन से रंग का पत्र जारी करेगी। हुड्डा ने कहा, इस सरकार ने कोई नया थर्मल प्लांट नहीं लगाया, जबकि हमने चार नए थर्मल प्लांट लगवाए। इस सरकार ने किसी भी नये शहर को मेट्रो से नहीं जोड़ा, जबकि हमने चार प्रमुख शहरों को दिल्ली मेट्रो से जोडऩे का काम किया था। इस सरकार में एक भी नयी रेल लाईन का काम मंजूर तक नहीं हुआ, जबकि हमने दो नयी रेलवे लाईन बनवाकर उस पर रेल भी चलवा दी थी।

 उन्होंने कहा कांग्रेस सरकार के दौरान के.एम.पी. एक्सप्रेसवे का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका था और हमने इस प्रोजेक्ट के अंतगज़्त आने वाली किसानों की जमीन का प्रस्तावित मुआवजे का चार गुना मुआवजा दिया था और यह सरकार बाकी 10 प्रतिशत काम को साढ़े तीन सालों में भी पूरा नहीं करा पाई।

हुड्डा ने कहा कि वर्तमान सरकार ने गांव के विकास के लिए पंचायतों को कोई पैसा नहीं दिया, जबकि कांग्रेस सरकार के दौरान गांव के विकास के लिए भरपूर धन उपलब्ध कराया गया था कांग्रेस शासनकाल में हमने गन्ने का भाव 107 से बढ़ाकर 311 कर दिया था। इस सरकार ने गन्ने की कीमत में नाम मात्र की बढ़ोत्तरी की है। उसका भी समय पर भुगतान नहीं हो रहा है, जबकि 2014 में जब हमने सत्ता छोड़ी थी तब किसानों का एक नया पैसा भी चीनी मिलों के पास बकाया नहीं था। 

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