CM विंडो पर रोज पहुंच रही 900 शिकायतें, 33% लोग बोले- हम संतुष्ट हैं

Edited By Updated: 24 May, 2017 09:42 AM

900 complaints received on cm window everyday

हरियाणा में खट्टर सरकार की ओर से शुरू की गई सी.एम. विंडो का रिजल्ट मात्र 33 प्रतिशत रहा है।

चंडीगढ़:हरियाणा में खट्टर सरकार की ओर से शुरू की गई सी.एम. विंडो का रिजल्ट मात्र 33 प्रतिशत रहा है। लगभग अढ़ाई साल पहले दिसम्बर, 2014 में खट्टर की अगुआई वाली भाजपा सरकार ने गुजरात की तर्ज पर सी.एम. विंडो की शुरूआत की थी। एक सर्वे के अनुसार प्रदेश की 33 फीसदी जनता ही सी.एम. विंडो की कार्यप्रणाली से संतुष्ट है। यह सर्वे खुद खट्टर सरकार ने ही करवाया है। सी.एम. विंडो पर शिकायत करने वालों से फीडबैक के लिए कॉल सैंटर स्थापित किया गया। सर्वे के तय अलग-अलग मानदंडों से पता लगाना था कि शिकायतकर्ता सी.एम. विंडो की कार्यप्रणाली से कितने खुश हैं। सर्वे में करीब 33 फीसदी शिकायतकर्ताओं ने ही संतुष्टि जाहिर की। इसके पीछे पुलिस की शिकायतों को कारण बताया जा रहा है। 

सी.एम. विंडो से जुड़े अफसरों का कहना है कि पुलिस से संबंधित ज्यादातर शिकायतें तथ्यपरक नहीं होती हैं। लिहाजा निपटारा सही से नहीं हो पाता। उधर, शिकायतों का आंकड़ा पहले से ज्यादा हो गया है। 2017 में अब तक 5 महीनों के दौरा करीब 900 शिकायतें हर रोज दर्ज हो रही हैं। वहीं, हर रोज करीब 400 के निपटान का दावा किया जा रहा है। पुलिस विभाग से संबंधित शिकायतों की संख्या सर्वाधिक है तो वहीं इनका निपटारा करना अफसरों के लिए काफी मुश्किल रहता है। गौरतलब है कि साल 2015 में सी.एम. विंडो की कार्यप्रणाली बेहतर साबित नहीं हुई लेकिन धीरे-धीरे सुधार करके समस्याओं का निपटारा किया जाने लगा। 

मुख्यमंत्री के गृह विभाग को लेकर 632 और धनखड़ के महकमे को लेकर 3247 शिकायतें पैंडिंग
सरकार के अढ़ाई साल के कार्यकाल के दौरान सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के गृह विभाग यानी पुलिस महकमे से संबंधित हैं। अब तक करीब 63 हजार शिकायतें मिली हैं, जिसमें से 57232 का निपटारा कर दिया गया है और 632 पैंडिंग हैं। जबकि मंत्री ओ.पी. धनखड़ के महकमे पंचायत विभाग से संबंधित 31116 शिकायतें आई हैं, जिसमें से 25682 के निपटारे के बाद 3247 पैंडङ्क्षग हैं। बिजली महकमा, जो सी.एम. के पास है, को लेकर 14374 शिकायतें मिली हैं। इसमें से 12714 का निपटारा कर दिया गया है और 779 पैंडिंग हैं। कविता जैन के स्थानीय निकाय विभाग को लेकर 13704 शिकायतें आई हैं, जिसमें से 11500 का निपटारा हुआ और 1258 पैंडिंग हैं। कैप्टन अभिमन्यु के राजस्व महकमे को लेकर 12317 शिकायतें आई हैं, जिसमें से 11216 के निपटारे के बाद 534 पैंडिंग हैं।

रामबिलास शर्मा के स्कूल विभाग को लेकर 12073 शिकायतें आईं हैं, 10533 का निपटारा हुआ और 612 पैंडिंग हैं। सी.एम. के टाउन एंड कंट्री प्लाङ्क्षनग विभाग को लेकर मिली 8834 में से 7454 के निपटारे के बाद 785 शिकायतें पैंडिंग हैं। कर्ण देव कंबोज के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को लेकर 6917 शिकायतें मिली हैं, जिसमें से 330 पैंडिंग हैं और 6039 का निपटारा कर दिया गया है। सामाजिक अधिकारिता विभाग को लेकर 6847 शिकायतें मिली हैं, जिसमें से 6262 का निपटारा हुआ और 168 पैंडिंग हैं। जनवस्वास्थ्य विभाग को लेकर मिलीं 6344 शिकायतों में से 5814 का निपटारा हो चुका है। 134 पैंडिंग हैं। अनिल विज के स्वास्थ्य महकमे को लेकर 4987 शिकायतें मिली हैं, जिसमें से 4402 का निपटारा हो चुका है और 333 पैंडिंग हैं। कम शिकायतों वालों में पशुपालन एवं डेयरी विभाग में मिली 749 शिकायतों में से 700 का निपटारा हो चुका है। खेल विभाग को लेकर 451 शिकायतें मिली हैं, 416 का निपटारा हो चुका है।

सिरसा जिला में सबसे ज्यादा 22106 शिकायतें मिलीं
सी.एम. विंडो पर मिलने वाली शिकायतों में सिरसा जिला 22106 संख्या के साथ सबसे आगे है। उसके बाद हिसार (17541), रेवाड़ी (16925), फरीदाबाद (16911), भिवानी (16007), रोहतक (16806), पानीपत (15669) और सी.एम. सिटी करनाल (15753) आता है। इसी क्रम में कैथल (14472), महेंद्रगढ़ (13633), पलवल (13275), सोनीपत (13159), यमुनानगर (12955), जींद (12819), गुरुग्राम (11095), अंबाला (10502), कुरुक्षेत्र (10378), झज्जर (9302), पंचकूला (7805), फतेहाबाद (7731), मेवात (7734), चरखी दादरी (4290) और चंडीगढ़ मुख्यालय (1872) है।

हर रोज किया जा रहा है आधी शिकायतों का निपटारा
रिस्पॉन्स मिलने से शिकायतकत्र्ताओं की संख्या करीब तीन गुणा बढ़ी है। शुरूआत से 2015 और 2016 के मध्य तक हर रोज 300 के करीब शिकायतें मिलती रहीं, जो अब 900 तक पहुंच गई है। इनमें से आधी शिकायतों का हर रोज निपटारा भी किया जा रहा है।

110 अफसरों पर कार्रवाई  
शिकायतों पर संज्ञान नहीं लेने वाले करीब 110 अफसरों व कर्मचारियों को सस्पैंड व चार्जशीट किया जा चुका है। सस्पैंड होने वालों में ज्यादातर पुलिस, बिजली, स्वास्थ्य, स्थानीय निकाय, पंचायत व कृषि विभाग के हैं। कई एच.सी.एस. व अफसरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा चुका है।

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