हरियाणा में सरस्वती के मीठे जल की खोज के लिए 10 स्थानों का चयन

Edited By Punjab Kesari, Updated: 11 Aug, 2017 08:51 AM

10 places to discover the sweet water of saraswati in haryana

हरियाणा में लुप्त वैदिक नदी सरस्वती की खोज के लिए 10 जगह का चयन किया जा चुका है।

चंडीगढ़:हरियाणा में लुप्त वैदिक नदी सरस्वती की खोज के लिए 10 जगह का चयन किया जा चुका है। हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड ने इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (इसरो) की मदद से सैटेलाइट इमेजिस की मदद से यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, फतेहाबाद और सिरसा में सरस्वती के मीठे जल की धारा प्रवाह वाले स्थानों का चयन किया गया है। यहां ओ.एन.जी.सी. की मदद से 400 से 500 मीटर के बोरवैल के बाद मौजूद पानी के सैंपल लिए जाएंगे। इसके अलावा स्थल की रेत, चिकनी मिट्टी, पत्थरों के सैंपल भी लिए जाएंगे। पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए सैंपल को लैबोरेटरी में भेजने के साथ हरियाणा एग्रीकल्चरल और कुुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की स्टडी का हिस्सा बनाया जाएगा। ज्योलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया पर स्थलों से एकत्रित सैंपल और खुदाई को लेकर डाक्यूमैंट तैयार करने की जिम्मेदारी रहेगी।

इस खोज के लिए इसरो जून, 2016 से सैटेलाइड चित्र ले रहा है। हरियाणा स्पेस एप्लीकेशन सैंटर की मदद से नदी की जल धाराओं को दर्शाने और चित्रों का विश्लेषण कार्य किया जा रहा है। पहली दफा सरस्वती नदी को शुरू से अंत तक हरियाणा के नक्शे पर दिखाया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार चित्र लेने का काम समाप्त होते ही, रिकार्ड हरियाणा के मानचित्र पर डाल दिया जाएगा।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, पीने के लिए मिल सकेगा पानी
एक्सपर्ट्स की मानें तो स्थलों से एकत्रित पानी की गुणवत्ता का संबंध लोगों के लिए पेयजल से रहेगा। 10 साल पहले जोधपुर में सरस्वती नदी की खोज के लिए किए अध्ययन में हजारों साल पुरानी नदी की मौजूदगी के प्रमाण मिले थे। सैंपल ने प्रमाणित किया था कि खुदाई में निकला पानी पीने लायक था। यही नहीं जोधपुर में सरस्वती के सैंपल यमुनोत्री के पीछे बंदरपूंच्छ ग्लेशियर से मिलते थे। बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि हरियाणा में इसरो की मदद से जिन जगहों की पहचान की गई है, वहां का पानी पीने योग्य मिलता है तो जिला प्रशासन या ग्राम पंचायत को खुदाई का काम सौंप दिया जाएगा।

एक स्थल पर 45 दिन में पूरा होगा खुदाई का कार्य 
बोर्ड अधिकारियों का कहना है कि एक स्थल पर 45 दिनों के अंदर खुदाई का काम पूरा हो जाएगा। उसके बाद बोरवेल में पाइप डाले जाएंगे और सैंपल भरकर लैबोरेटरी में भेजे जाएंगे। सैंपलिंग का काम साथ में ही होगा ताकि रिपोर्ट में विलंब न हो। इसके बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के साथ मिलकर सरस्वती घाटी संख्यता को भी प्रमाणित किया जाएगा। यह प्राचीनतम घाटी साबित हो सकती है क्योंकि किनारों पर सबूत मिले हैं जो साबित करते हैं कि फतेहाबाद में चिन्हित स्थल के आसपास लोग रहते थे।

स्थानों की पहचान के लिए राज्यभर में जमीनी सर्वेक्षण
राज्यभर में 100 कुओं की खुदाई के केंद्र सरकार के निर्देशों के बाद बोर्ड ने 10 जगह की पहचान की है। इन जगह से हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड अच्छी गुणवत्ता वाला पानी मिलने के बाद सरस्वती की खोज के लिए राज्य में 90 अन्य जगहों को भी चिन्हित करेगा। स्थानों की पहचान के लिए राज्यभर में जमीनी सर्वेक्षण किए जा रहे हैं। पुरातात्तिवक सर्वेक्षण और सैटेलाइज फोटोग्राफी सूखे जलमार्गों की पहचान की जा रही है। पुरानी खोज पहले ही साबित कर चुकी है कि सरस्वती का वैदिक, पौराणिक, रामायण, महाभारत से संबंध रहा है।

आदिबद्री क्षेत्र में चैकडैम बनेगा
आदिबद्री में चैकडैम बनाने की योजना है। वजह, निष्क्रिय सरस्वती को प्रवाहित दिखाना है। मौजूदा समय में निष्क्रिय स्थल पर नहर की खुदाई कर रहे हैं जिसे मौजूदा समय में हथिनीकुंड बैराज के शाहबाद फीडर से 200 क्यूसिक पानी दिया जा रहा है परंतु बांध बनने के बाद सोंब नदीं का पानी नहर में छोड़ा जाएगा।
 

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