अस्पतालों पर नकेल कसने के लिए CEA एक्ट की मंजूरी

Edited By Punjab Kesari, Updated: 18 Jan, 2018 02:04 PM

causes of the cea act to prevent arbitrariness of hospitals

सरकार द्वारा क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट की मंजूरी को जानकारों ने इसे लाइन आफ कन्ट्रोल जैसा बताया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे जहां अस्पतालों की मनमानी पर लगाम लगेगी, वही अस्पतालों को पारदर्शी होना पड़ेगा। वहीं दूसरी इंडियान मेडिकल एसोसिएशन ने...

गुडग़ांव(ब्यूरो):सरकार द्वारा क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट की मंजूरी को जानकारों ने इसे लाइन आफ कन्ट्रोल जैसा बताया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे जहां अस्पतालों की मनमानी पर लगाम लगेगी, वही अस्पतालों को पारदर्शी होना पड़ेगा। वहीं दूसरी इंडियान मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है कि एक्ट केन्द्र सरकार का है जिसे प्रदेश में लागू किया जा रहा हैं। उन्होंने बताया कि एक्ट का सर्कुलर देखने के बाद ही तय हो सकेगा कि इसमें किन तथ्यों का संसोधन किया जाना हैं। 

ज्ञात हो कि हाल में मैक्स, फोर्टिस, मेदांता, पार्क सहित अन्य अस्पतालों में मरीजों से इलाज के नाम पर मनमानी करने संबंधी खबरें लोगों के लिए सुर्खियां बनी थी। सबसे ज्यादा फोर्टिस अस्पताल में डेंगू से आद्या नाम की लड़की की मौत के बाद उसके परिजनों से वसूले गए लाखों रुपए के भारी भरकम बिल से अस्पतालों की चर्चा व इनकी मनमानी और भी सुर्खियों में थी। जानकारों के मुताबिक चिकित्सकीय स्थापना अधिनियम (क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट) केंद्र सरकार की निगरानी में रहने वाला एक्ट हैं। 

बताया जा रहा है कि देश के मशहूर अस्पतालों पर नकेल कसने के लिए केन्द्र सरकार एक्ट को प्रदेश में लागू करने संबंधी मंजूरी प्रदान कर चुकी हैं। बताया जाता है कि देश में इस एक्ट को सबसे पहले बंगाल ने लागू किया था। जिसके बाद बढ़ते हंगामे व मरीजों की हो रही मौतों के कारण इसे अन्य राज्यों पर भी लागू करने संबंधी दबाव बढऩे लगा। बताया ये भी जाता है कि एक्ट लागू होने के बाद अस्पतालों में होने वाले इलाज से लेकर मरीजों की लापरवाही के कारण होने वाली मौतों आदि का सीधा जवाब केन्द्र व राज्य सरकारों को देना होगा। इससे मरीजों को राहत मिलेगी और काम सुचारू होगा।

एक्ट के तहत ऐसे कार्य करेंगे अस्पताल
मानक के अनुसार काम करेंगे अस्पताल, अस्पतालों में 24 घंटे आक्सीजन सिलेंडर रखने होंगे। अस्पतालों को पर्याप्त स्टाफ व आपाकालिन सेवाएं चालू रखनी होगी, शिकायतों पर सीधे केन्द्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय नजर रखेगा। अस्पताल व मरीजों के बीच किसी समर्झाता व लेनेदेन की संभावना होगी खत्म।       
 

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