24 साल बाद मिला शहीद का दर्जा (Watch Pics)

Edited By Updated: 22 Oct, 2016 01:23 PM

haryana ratia ram kumar monument tribute

‘असल में आज ही उसका लाडला बेटा शहादत की घोड़ी चढ़ा है और पूरे गांव व सेना व पुलिस के अधिकारियों की मौजूदगी में मेरा उसकी

रतिया (झंडई): ‘असल में आज ही उसका लाडला बेटा शहादत की घोड़ी चढ़ा है और पूरे गांव व सेना व पुलिस के अधिकारियों की मौजूदगी में मेरा उसकी घुड़चढ़ी पर मंगल गीत गाने को दिल कर रहा है।’ यह नम भरे शब्द उस 80 वर्षीय बुजुर्ग मां सरस्वती देवी के थे जिसके लाडले बेटे शहीद कांस्टेबल राम कुमार को केन्द्र सरकार द्वारा करीब 24 वर्षों उपरांत शहीद का दर्जा दिया गया है और इस दर्जे के पश्चात राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आयोजित समारोह के दौरान शहीद के नाम पर स्मारक की स्थापना की गई। विद्यालय प्रांगण में आयोजित स्मारक स्थापना समारोह में पुलिस विभाग के इंस्पैक्टर प्रवीर सिंह मुख्यातिथि के रूप में शामिल हुए। 

 

कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल के प्राचार्य चन्द्रपाल ने की। कार्यक्रम के आरम्भ में गांव अलावलवास के शहीद राम कुमार की माता ने शहीद की तस्वीर पर दीप प्रज्वलित किया तत्पश्चात मुख्यातिथि ने स्कूल प्रांगण में शहीद के स्मारक का उद्घाटन किया। इस दौरान मुख्यातिथि ने ‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले, वतन पे मिटने वालों का बाकी यही निशां होगा’ की पंक्तियों के साथ शहीद को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि ऐसे शूरवीरों की कुर्बानियों को कदापि नहीं भूला जा सकता और इनकी बदौलत ही हम खुली हवाओं में सांस ले रहे हैं। शहीद के मामा रामस्वरूप ने पुष्प अर्पित करते हुए कहा कि इस युवा ने आतंकवादियों से लोहा लेते हुए न केवल अपने गांव की गरिमा को बढ़ाया है, बल्कि देश व प्रदेश का नाम भी रोशन किया है। उन्होंने मंच के माध्यम से शहीद के भाई को सरकारी नौकरी देने का भी आह्वान किया। 

 

योद्धाओं की कहानियां सुनकर ही जागा देशप्रेम
शहीद की स्मारक के निर्माण को लेकर समारोह में शामिल हुए बी.एस.एफ. के हैड कांस्टेबल सतीश कुमार ने शहीद राम कुमार की शहादत पर पूरी जानकारी दी और कहा कि इस नौजवान का जन्म 10 नवम्बर 1968 को इसी गांव में हुआ था और इसी गांव की गलियों में बचपन गुजारने के पश्चात 5वीं तक की शिक्षा अलावलवास में पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा गांव लाली में प्राप्त की। शिक्षा ग्रहण करते हुए इन्होंने योद्धाओं की कहानियां सुनी जिससे देशप्रेम का जज्बा जाग उठा। 10वीं की पढ़ाई पूरी करने के उपरांत देश की सेवा करने हेतु अप्रैल 1990 में जोधपुर भर्ती हो गए और अलग-अलग जगह सेवा करते हुए 22 अप्रैल 1992 में उत्तर प्रदेश में पहुंचे और वहां पालटून पोस्ट बाडिय़ा, नाका तलवाड़ में ड्यूटी देकर वापस लौटते समय आतंकवादियों की गोली उनकी छाती में जा लगी लेकिन फिर भी हौसला नहीं हारा और दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए। उन्होंने स्पष्ट किया कि केन्द्र सरकार की तरफ से ही इस शहीद सैनिक को करीब 24 वर्षों उपरांत शहीद का दर्जा मिला है और उसके नाम पर ही शहीदी दिवस मनाया जा रहा है।

 

पंचायत की तरफ से किया गया मां को सम्मानित
स्कूल प्रांगण में आयोजित स्मारक स्थापना समारोह के दौरान जहां शहीद राम कुमार की वृद्ध माता सरस्वती देवी शामिल हुई, वहीं उनके भतीजे प्रदीप कुमार, रविन्द्र कुमार, मनदीप कुमार व भतीजी निर्मला देवी शामिल हुई। इस कार्यक्रम में पंचायत प्रतिनिधि प्रदीप कुमार द्वारा शहीद की माता को शाल भेंट कर सम्मानित किया गया। 

 

प्रशासन की तरफ से नहीं पहुंचा कोई अधिकारी
रतिया क्षेत्र के शहीद सैनिक राम कुमार की शहादत पर गांव अलावलवास में आयोजित समारोह के दौरान जहां बी.एस.एफ. के नौजवान व पुलिस विभाग के अधिकारी शामिल हुए, वहीं प्रशासन की तरफ से कोई भी उच्चाधिकारी शामिल नहीं हुआ जिसको लेकर पूरे कार्यक्रम में चर्चा का विषय बना रहा। 
 

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