रात को मयखाने में तब्दील हो जाते हैं सरकारी दफ्तर

Edited By Punjab Kesari, Updated: 28 Oct, 2017 11:42 AM

government offices turn into nightclub

रात का अंधेरा होते ही जिले के कई सरकारी कार्यालय मयखाने का रूप ले लेते हैं। कुछ कार्यालयों में निचले श्रेणी के कर्मचारी इस काम को अंजाम देते हैं और कुछ कार्यालयों में लिपिक व अधिकारी स्तर के लोग भी सरकारी कार्यालयों में जाम टकराते हैं। इन मामलों में...

फरीदाबाद(महावीर गोयल):रात का अंधेरा होते ही जिले के कई सरकारी कार्यालय मयखाने का रूप ले लेते हैं। कुछ कार्यालयों में निचले श्रेणी के कर्मचारी इस काम को अंजाम देते हैं और कुछ कार्यालयों में लिपिक व अधिकारी स्तर के लोग भी सरकारी कार्यालयों में जाम टकराते हैं। इन मामलों में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण कार्यालय, बादशाह खान अस्पताल, नगर निगम तथा सचिवालय व पंचायत भवन सहित अनेक ऐसे सरकारी दफ्तर हैं, जहां रात के अंधेरे में मदिरा का दौर शुरू होता है। कई कार्यालयों में तो औचक निरीक्षण के दौरान मदिरापान करते पकड़े गए सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों को सस्पेंड भी किया जा चुका है।

बुधवार देर शाम नगर निगम मुख्यालय में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। जब नगर निगम के सुपरिटेंडिंग इंजीनियर के कमरे में कुछ लोग बैठकर शराब पी रहे थे। जब उनसे यह पूछा गया कि वे ऑफिस का समय समाप्त होने के बावजूद यहां क्या कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि वे चंडीगढ़ में होने वाली बैठक की तैयारी कर रहे हैं। उनसे जब पूछा गया कि आपको सरकारी कार्यालय में शराब पीने की इजाजत किसने दी है और नगर निगम कार्यालय को मयखाना क्यों बना रखा है तो उनका जवाब था कि बीयर पीने से कोई मयखाना थोड़े ही बन जाता है। हमने इसके लिए किसी से परमीशन नहीं ली है।

हालांकि वे अधिकारी पत्रकार को देखकर सकपका गए और क्षमा याचना करने लगे। केवल नगर निगम ही दिन ढलने के बाद शराब पीने का अड्डा नहीं बनता है, हुडा विभाग में भी इस प्रकार का नजारा कई बार देखने को मिला है। हैरानी की बात यह है कि जब भी इस तरह के मामले सामने आए हैं। दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही अमल में लाई गई है उसके बावजूद अधिकारियों व कर्मचारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। सूत्रों की मानें तो नगर निगम में कई अधिकारी व कर्मचारी ऐसे हैं जो निजी हितों को साधने के लिए ऑफिस आवर के बाद भी डेरा जमाए रहते हैं। ऐसा ही कुछ हाल हुडा कार्यालय में भी देखा जा सकता है।उन्में   कार्रवाई का भय ही समाप्त हो गया है। यही कारण है कि बार-बार इस प्रकार के मामले हो रहे हैं। 

इस संदर्भ में जब नगर निगम आयुक्त समीरपाल सरो से बात करने का प्रयास किया गया तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया। इस पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी तथा जो भी अधिकारी व कर्मचारी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। इस तरह से सरकारी कार्यालय में मदिरापान करना बिल्कुल गलत है तथा इस प्रकार की अनुशासनहीनता को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मैं खुद अपने स्तर पर इस मामले की जांच करूंगी। - सुमन बाला, महापौर नगर निगम
 

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