Edited By Punjab Kesari, Updated: 04 Jan, 2018 01:49 PM
मंगलवार तड़के हत्या की छह वारदातों के बाद अब शहर में चौकीदारी करने वालों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा हो गया है। लोगों की दुकानों व मकानों की सुरक्षा करने वाले चौकीदार हमेशा अपनी जान को खतरे में डालकर ही चौकीदारी करते हैं। एक डंडा व सीटी के दम पर वे कैसे...
फरीदाबाद(ब्यूरो):मंगलवार तड़के हत्या की छह वारदातों के बाद अब शहर में चौकीदारी करने वालों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा हो गया है। लोगों की दुकानों व मकानों की सुरक्षा करने वाले चौकीदार हमेशा अपनी जान को खतरे में डालकर ही चौकीदारी करते हैं। एक डंडा व सीटी के दम पर वे कैसे लोगों की दुकानों व मकानों की सुरक्षा कर सकते हैं। शहर में जिन छह लोगों की हत्या की गई, उनमें तीन चौकीदार थे तथा वारदात के समय ड्यूटी पर थे।
घोर मुसलिफी में जीवन काट रहे ये चौकीदार पूरी रात जगते थे तथा पौष माह की रात को कभी आग जलाकर तो कभी कंबल ओढ़कर झपकी लेकर रात काटते थे। हत्याकांड का शिकार हुआ चौकीदार सीताराम पातली गेट का रहने वाला था तथा रसूलपुर रोड पर एक दुकान की चौकीदारी करता था। इसी तरह मृतक चौकीदार मुंशीराम अलावलपुर का रहने वाला था तथा पुराने जीटी रोड पर लाला लाजपतराय पार्क के आसपास चौकीदारी करता था। खेमचंद उलेटा गांव का रहने वाला था तथा रसूलपुर चौक के आसपास चौकीदारी करता था। ये चौकीदार आमतौर पर जबरदस्त शोषण के शिकार होते हैं। तनख्वाह के रूप में इन्हें करीब पांच हजार से सात हजार रुपये के आसपास मिलते हैं।
इस राशि को भी वे दुकानदारों से खुद उगाते हैं। सुविधा के नाम पर उन्हे साल में एक कंबल तथा अलाव जलाने के लिए कुछ लकड़ियां मिल जाती हैं। कई बार तो वे लकड़ियां भी खुद जुटाते हैं। हथियार के नाम पर उनपर केवल एक लाठी या डंडा होता है। रात के समय जब वे किसी आते-जाते व्यक्ति को टोकते हैं तो आम तौर पर धमका दिए जाते हैं। पुलिस भी उन्हें धमकाती रहती है। चोर तो उनसे डरते ही नहीं हैं। यदि कोई चोरी हो जाए तो पुलिस भी सबसे पहले उनसे ही पूछताछ करती है। रात काली करने के बाद भी उनसे सहानुभूति का कोई शब्द तक नहीं बोलता।
रामदास पचौरी, चौकीदार
मैं मध्यप्रदेश के मुरैना का रहने वाला हूं तथा पलवल के रेलवे रोड पर चौकीदारी करता हूं। आज जो घटना घटी है, उससे चौकीदार बेहद परेशान हैं। चौकीदार पूरी रात डयूटी करते हैं, परंतु अपनी सुरक्षा के लिए तरसते हैं। जो चौकीदार मारे गए हैं, सरकार उन्हें उचित मुआवजा दे।