Edited By Punjab Kesari, Updated: 17 Oct, 2017 03:23 PM
एनह्रासमैंट के डर से जहां सरकार ने दादूपुर-नलवी नहर परियोजना से हाथ पीछे खींच लिए तो वहीं अब अन्य परियोजनाओं के लिए सरकार ने जमीन अधिग्रहण से तौबा कर ली है। एच.एस.आई.आई.डी.सी. व हुडा के प्लाट धारक भी एनह्रासमैंट के बोझ से त्रस्त है, क्योंकि दोनों...
चंडीगढ़(बंसल): एनह्रासमैंट के डर से जहां सरकार ने दादूपुर-नलवी नहर परियोजना से हाथ पीछे खींच लिए तो वहीं अब अन्य परियोजनाओं के लिए सरकार ने जमीन अधिग्रहण से तौबा कर ली है। एच.एस.आई.आई.डी.सी. व हुडा के प्लाट धारक भी एनह्रासमैंट के बोझ से त्रस्त है, क्योंकि दोनों विभाग एनह्रासमैंट का बोझ प्लाटधारकों पर डाल देते हैं जिससे प्लाटधारक परेशान हैं और इस समस्या को उद्योगपतियों ने मुख्यमंत्री के समक्ष भी रखा था। गुरुग्राम में मुख्यमंत्री ने उद्योगपतियों को कहा था कि एनह्रासमैंट के बोझ उन पर नहीं डाला जाएगा। अब वहीं हुडा के प्लाटधारकों का मामला भी मुख्यमंत्री के समक्ष पहुंचा है जबकि पहले से ही कर्जे में डूबा हुडा विभाग के एनह्रासमैंट के बोझ को सहन के स्थिति में नहीं है तो वहीं प्लाटधारक भी एनह्रासमैंट को देने को तैयार नहीं है और उलझन सरकार की बढ़ गई है, ऐसे में सरकार ने भविष्य में जमीन अधिग्रहण से ही तौबा कर ली है।
भविष्य में सरकार जमीन अधिग्रहण की बजाय किसानों से जमीन वैबपोर्टल के माध्यम से खरीदेगी, ताकि एनह्रासमैंट के बोझ से बचा जा सके। भविष्य में प्लाटों का आबंटन ऑक्शन के जरिए होगा। प्लाटों की अलॉटमैंट में पर्ची सिस्टम हम बहुत पहले बंद कर चुके हैं। सरकार अब जमीन अधिग्रहण नहीं करेगी। एनह्रासमैंट का बोझ प्लाटधारक और सरकार दोनों के लिए सहन करना मुश्किल है। किसी वैकल्पिक केस में यदि अदालत कोई व्यवस्था देती है तो प्लाट की ऑक्शन के समय ही ली जाने वाली राशि के फंड से इसका भुगतान होगा।