Edited By Updated: 24 Jun, 2016 02:48 PM
भिवानी के मुक्केबाज विकास कृष्ण यादव ने ओलंपिक के लिए क्वालीफाइ कर लिया
भिवानी (अशोक भारद्वाज): भिवानी के मुक्केबाज विकास कृष्ण यादव ने ओलंपिक के लिए क्वालीफाइ कर लिया है। अब उनकी निगाहें रियो ओलंपिक में है। लगातार 8 से 10 घंटे मेहनत कर देश के लिए गोल्ड मैडल लाने का सपना है।
भिवानी के मुक्केबाज विकास कृष्ण यादव के परिजनों से बात करने पर उन्होंने कहा कि विकास निश्चित तौर पर पदक लेकर आएगा। विकास की मां दर्शना का कहना है कि आज तक उनका बेटा गोल्ड से कम नहीं लेकर आया। उनका कहना है कि बेटे का सपना लंदन ओलंपिक में गलत डिसीजन के कारण चकनाचूर हो गया था। तबसे विकास के मन में जुनून था कि वो ओलंपिक फतह करके ही रहेगा।
विकास इन दिनों अमेरिका में जी तोड़ अभ्यास कर रहा है। इससे पहले भिवानी के बी.बी.सी. क्लब में द्रोणाचार्य अवार्डी कोच जगदीश सिंह की रहनुमाई में मुक्केबाजी का ए.बी.सी. सीखने वाले विकास ने 12 साल की उम्र में साज 2003 में मुक्केबाजी में पदार्पण किया तो कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जगदीश सिंह ने इस मुक्केबाज को इस कदर तराशा कि वो सिर्फ गोल्ड मैडल ही लेकर आया।
विकास की पत्नी एवं इंटरनेशनल मुक्केबाज रही सोनम का कहना है कि ओलंपिक में खेलने व मैडल लाने की धुन विकास के सिर पर इस कदर सवार है कि वो अपने दुधमुंहे बच्चों से भी नहीं मिल पा रहा है। दिन रात मेहनत में जुटे विकास का एकमात्र लक्ष्य अब 2012 की हार का बदला लेना है।
विकास के दादा सरुजीत यादव का कहना है कि उन्हें अपने पोते पर नाज है वह बचपन से ही जुनूनी रहा है। जो बात ठान लेता था, करके दिखाता था। उनका कहना है कि बेटे ने एक बार कहा था कि वो देश का नाम रोशन करेगा, इसी मकसद से वह लगा हुआ है।
बता दें कि महज 24 साल के इस खिलाड़ी ने साल 2003 में खेलना शुुरू किया था। इसके बाद उसने कभी पीछे मुडकऱ नहीं देखा। उसने अब तक 2 दर्जन के करीब गोल्ड जीते हैं। दूसरे पदकों की गिनती भी कम नहीं है। भिवानी के एक मिडिल क्लास परिवार से संबंध रखने वाले विकास कृष्ण विकास यादव यूं तो ओलम्पिक में पहले भी देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं तथा दूसरी बार ओलंपिक के रिंग में उतरेंगे। इससे पूर्व वे बॉक्सिंग में एशियाई चैंपियन रह चुके हैं। विकास अर्जुन अवार्डी हैं तथा अब पदम विभूषण पर भी उनकी निगाहें हैं।